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उत्तराखंड :बातों-बातों में सनसनीखेज खुलासा

हैप्पी स्वास्थ्य …… क्राईंग हू ???
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ज्ञानेंद्र कुमार (लेखक सामाजिक कार्यकर्ता हैं)

अभी कुछ ही दिन हुये जब मैने लिखा था कि प्रदेश के हजारों संविदाकर्मियों और बेरोजगारों के हाथ में झुनझुना आने वाला है।  मेरी उम्मीद के मुताबिक राष्ट्रीय हैल्थ मिशन से इसकी शुरुवात भी हो गयी और एक चिकित्सक उच्च न्यायालय भी पहुँच गये। 
तैयारी है, किच्छा ( उधमसिंह नगर) की एक कंपनी को काम देने की। मुझे नहीं पता कि इसके मालिकानों का बैकग्राउंड क्या है और ये बेसिकली यहाँ के ही हैं, य़ा केवल यहाँ धंधा करने के लिये यहाँ के बन बैठे हैं। 
सबको पता है कि यह काम किच्छा की एक कंपनी को देने की तैयारी है, जबकि मजे की बात यह है कि इस टेंडर की फाईनेंशियल बिड अभी तक खुली ही नहीं है।  अब ये ठेकेदार, डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ को इंटरव्यू लेकर भर्ती करेंगे। 
गौरतलब है कि एनएचएम केन्द्र पोषित योजना है और उसके प्रावधानों में आउट सोर्सिंग का प्रावधान ही नहीं है, लेकिन चूँकि केन्द्र पोषित है तो उसका ये दायित्व बनता है वो इस प्रदेश के नेताओं – अधिकारियों का भी पोषण करे, क्योंकि केन्द्र भी तो अपना है। 
चलो, अब ज्यादा नहीं लिखूँगा।  क्योंकि अब संविदाकर्मियों और बेरोजगारों के पास तो ज्यादा टाइम बचा नहीं है।  अगर संविदा रिन्यूअल करानी है य़ा नौकरी पानी है तो डेढ़ से तीन लाख की व्यवस्था भी करनी होगी। उसके बिना तो यह कंपनी भी नौकरी देने से रही।  क्यों ?? पंचायती राज और डब्ल्यूसीडी के उदाहरण भूल गये क्या ??
ज़रनल नॉलेज कम है मेरी, बतायेंगे कि सूबे का वजीर-ए- सेहत कौन है।  खैर जो भी है ….. जय हो

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