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भारत के सबसे हाई टेक शहर में क्यों उठी वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन क्लास की मांग?

@शब्द दूत ब्यूरो (11 मार्च, 2024)

अभी गर्मी सही तरीके से शुरू भी नहीं हुई है और देश के आईटी हब कहे जाने वाले शहर बेंगलुरु में पानी की किल्लत हो गई है. इस किल्लत को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने इस परेशानी से निपटने के लिए कई कामों में पेयजल के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है. इन सभी को ध्यान में रखते हुए बेंगलुरु में रह रहे लोगों ने घर से काम करने और ऑनलाइन क्लास चलाए जाने की मांग की है.

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के लोग पानी की संकट से जूझ रहे हैं इस दौरान ऑफिस में काम करने वाले लोगों ने और स्टूडेंट्स ने घर से काम करने और ऑनलाइन क्लास चलाने की मांग की है. कई लोगें ने सोशल मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से अपील की है कि ज्यादा मात्रा में पानी को बचाने और उन्हें हो रही असुविधा के लिए सभी को घर से काम करने की परमिशन दी जाए. लोगों का कहना है कि जब तक इस साल की बारिश की शुरुआत नहीं हो जाती तब तक घर से ही काम करने की परमिशन दी जानी चाहिए.

कई चीजों पर सरकार ने लगायी रोक

बेंगलुरु में पिछले 2 हफ्तों में बढ़ रही गर्मी की वजह से पानी की समस्या और भी ज्यादा बढ़ती जा रही है. बेंगलुरु में रहने वाले लोगों का मानना है कि कोविड-19 महामारी के समय की स्थिति को दोहरा कर ही पानी की इस संकट से सही तरह निपटा जा सकता है. बेंगलुरु में हो रहे इस गंभीर पानी के संकट की वजह साल 2023 में हुए बारिश में कमी है, जिसकी वजह से इस साल लोगों को इस परेशानी से जूझना पड़ रहा है. कर्नाटक सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए इस हफ्ते की शुरुआत में कई बैठकें की है. कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने विधानसभा में कहा कि सरकार अन्य कामों की अपेक्षा सिंचाई और वॉटर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट को प्राथमिकता देगी. कर्नाटक जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड ने बताया कि कार धोने, घर बनवाने, सड़कों को बनवाने, उसके रखरखाव में साफ पानी के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है, इस का पालन ना करने पर 5000 का जुर्माना भरना पड़ेगा है.

आने वाले महीनों में और होगी पानी की किल्लत

राज्य सरकार ने इस स्थिति का 10 फरवरी तक आकलन किया है, जिसके मुताबिक बेंगलुरु शहर, जिले के साथ-साथ पूरे कर्नाटक में लगभग 7,082 गांवों और 1,193 वार्डों को आने वाले महीनों में पीने के पानी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. इस बीच भारतीय मौसम विभाग ने कहा है कि बारिश की कमी के लिए अल नीनो प्रभाव जिम्मेदार है. अल नीनो प्रभाव से प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह गर्म हो जाती है, इससे हवाओं के रास्ते और रफ्तार में बदलाव आ जाता है जिसके चलते मौसम चक्र बुरी तरह से प्रभावित होता है, जिसकी वजह से कई जगहों पर सूखा पड़ जाता है तो कई जगहों पर बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जाती है.

बेंगलुरु के अधिकारियों ने बताया कि शहर के लगभग 50 फीसदी बोरवेल सूख गए हैं. शहर के ग्राउंड वॉटर सोर्स को फिर से भरने के लिए सूख रही झीलों में रोज 1,300 मिलियन लीटर शुद्ध पानी रिचार्ज करने का फैसला लिया गया है.

 
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