@शब्द दूत ब्यूरो (08 मार्च 2024)
शेख शाहजहां बेशक सीबीआई के गिरफ्त में हो लेकिन उसके कारगुजारियों की फेहरिस्त काफी लंबी है. टीवी9 भारतवर्ष की टीम जब संदेशखाली गांव के मोहल्लों में गई तब महिलाओं ने खुलकर बताया कि किस तरह से शेख शाहजहां का उनके इज्जत और जायदाद दोनों पर नजर रहती थी. बता दें कि पांच फरवरी को रेड मारने गई ईडी की टीम पर शेख शाहजहां के समर्थकों ने हमला किया था. इस हमले में ईडी के अधिकारी घायल हो गये थे. बाद में वह फरार हो गया था.
बाद में स्थानीय महिलाओं ने उसके जुल्म के खिलाफ आवाज उठाई. कोर्ट ने भी फरमान जारी किया, तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया. बाद में अब वह सीबीआई की हिफाजत में है.
जमीन हड़पना तो आम बात थी
श्यामला ( बदला हुआ नाम) की उम्र 50 साल है. उन्होंने कहा कि शेख शाहजहां की बुरी नीयत उनके परिवार पर हुआ. उन्होंने कहा कि पढ़ी लिखी वह नहीं है, जिसका फायदा उठाकर उसने उनकी जमीन हड़प लिया. जमीन मांगने पर ऐसा कुछ डिमांड करने लगा, जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते.
स्थानीय लोगों का कहना है कि किसी समय मछली पालने वाले भेरी या तालाब में मजदूर या वैन रिक्शा चालक के तौर पर काम कर चुके शाहजहां शेख इस समय तीन महलनुमा मकानों, 17 गाड़ियों, मछली पालन के कई तालाबों और दो ईंट भट्ठों समेत अपार संपत्ति का मालिक है.
कैसे हड़पता था जमीन
संदेशखाली वह इलाका है जो तीनों ओर से पानी से घिरा है. कालिंदी नदी संदेशखाली से होकर बहती है. आगे चलकर सुंदरवन का डेल्टा भी है. एक तरह से इसे सुंदरवन का मुहाना भी आप कह सकते हैं. इस इलाके में धान की खेती और मच्छली पालन लोगों का मुख्य व्यवसाय है. शेख पहले महिलाओं को व्यक्तिगत तौर पर अपना निशाना बनाता था और विरोध करने पर उसकी अस्मत के साथसाथ जमीन जायदादा भी हड़पने का प्लान बनाता था.
तो ऐसे खेती जमीन बंजर बन जाती
संदेशखाली के इलाके में साल में दो बार स्थानीय निवासी धान की फसल उगाते हैं. जमीन उपजाऊ है लेकिन इसके साथ ही पास में सुंदरवन का डेल्टा है जहां से खारा पानी भी बड़ी तादाद में इस इलाके में घुस जाता है. शेख शाहजहां पानी को चैनलाइज करके खेतों में खारा पानी पहुंचाता था, जिससे कि फसल नष्ट हो जाती थी और इतना ही नहीं उपजाऊ जमीन बंजर जमीन में तब्दील हो जाती थी.
मछली पालन के नाम पर जमीन हड़पता
शेख शाहजहां पर आरोप है कि जमीन हड़पने के लिए वह सभी तरह के हथकंडे अपनाता, जिसमें मछली पालन भी शामिल था. वह स्थानीय निवासियों से मछली पालन के नाम पर जमीन किराये पर लेता था. इसके बदले ग्रामीण को कुछ पैसे भी देता था. इसी जमीन में थोड़े दिनों बाद खारे पानी का जमावड़ा कर देता था, जिससे की जमीन में खारेपन की मात्रा इतनी हो जाती थी कि वह ना तो खेती के लायक बचती थी ना ही किसी औऱ काम का…
शेख शाहजहां गांव में जमीन कब्जे को लेकर किसी भी हद तक चला जाता था. इसके लिए वह लोगों के घरों को जलाने से लेकर हर बुरा काम करता था, जिससे कि उसे वहां की जमीन मिल सके.
गांव के फुटबॉल मैदान पर भी कब्जा
कालिंदी नदी के किनारे बने बांध के पास के लोगों ने दावा किया कि शिबू हाजरा यहीं से नदी का खारा पानी खेती की जमीन में घुसा देता है. उन लोगों ने गांव में फुटबॉल के मैदान पर भी कब्ज़ा कर लिया है.
महिलाओं को पहले बनाता था शिकार
पात्रापाड़ा की महिलाओं ने बताया कि उन्हें अब भी लगता है कि जांच के बाद भी वह सुधरेगा नहीं और उसका जुल्म बदस्तूर जारी रहेगा. स्वनिर्भर गोष्ठी ( एस.के.एन) की सदस्या सुमी ( बदला हुआ नाम) ने टीवी 9 भारतवर्ष से बातचीत में बताया कि सरकारी कार्यक्रम के लेकर एस. के.एन. के महिलाओं के रात के बारह बजे घर बुलाता था. सुमी ने बताया कि रात के महिलाओं को गोष्ठी के नाम पर बुलाकर चीर हरण करता था. उसके खौफ से कोई कुछ बोल नहीं पाता था.
जो पसंद आता था उसे उठा लेता था
पीहू ( बदला हुआ नाम) ने बताया कि शेख शाहजहां को जो भा पसंद आ जाता था, उसे वह उठा लेता था. उन्होंने कहा कि शादीशुदा महिलाओं से भी बुरी नीयत रखता था. यदि महिला विरोध करती थी तो उसके पति के जान से मारने की धमकी देता था. कई बार उनके पति तो उठाकर बड़ी बेरहमी से पिटाई करता था.
पुरुषों ने गांव खाली किया हुआ है
शेख शाहजहां का खौफ कुछ इस कदर इस गांव में है कि गांव के अधिकतर पुरुषों ने डर से गांव खाली कर दिया है. उनकी समस्या यह है कि उनके घर की अगर कोई महिलाएं उसे पसंद आ जाती तो महिलाओं के साथ वह जोर-जबरदस्ती करता. नहीं मानने पर उसे घर के पुरुषों को पकड़ के बेतरतीब तरीके से पिटता. यही वजह है कि गांव के अधिकतर पुरुषों ने गांव खाली कर दिया है.
कैसे वह बना इतना रसूखवाला
शेख शाहजहां और शिव प्रसाद हाजरा दोनों उत्तर 24-परगना ज़िला परषिद के सदस्य हैं. शेख जिला परिषद के मत्स्य और पशुपालन विभाग के प्रमुख हैं. यह दोनों संदेशखाली के दो अलग-अलग इलाकों में तृणमूल कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष हैं. उत्तम सरदार इनके सहयोगी हैं. महिलाओं का आरोप है कि इनकी मिलीभगत से सबकुछ होता है. शाहजहां शेख़ ही इलाके के एकछत्र नेता हैं. वे कभी सीपीएम में था, लेकिन वाममोर्चा शासन के आखिरी दिनों में तृणमूल कांग्रेस की ओर उनका झुकाव होता रहा और आखिर में वे औपचारिक रूप से पार्टी में शामिल हो गया.