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जहां होता है ‘मोटा मुनाफा’, आखिर सरकार वहां क्यों नहीं लगाती आपकी पेंशन का पैसा?

@शब्द दूत ब्यूरो (27 फरवरी 2024)

रिटायरमेंट की प्लानिंग के लिए आज देश में कई लोग सरकार के नेशनल पेमेंट सिस्टम (NPS) पर भरोसा करते हैं. अपनी पेंशन के लिए आप इसमें जो पैसा जमा करते हैं, उस पर बढ़िया रिटर्न के लिए सरकार इसका कुछ हिस्सा शेयर बाजार में भी इंवेस्ट करती है. हालांकि इसमें बड़ा पेंच है कि आखिर सरकार इस पैसे को मिडिल कैप या स्मॉल कैप जैसी कंपनियों में क्यों नहीं निवेश करती, जहां मोटा मुनाफा मिलने के चांस ज्यादा बेहतर होते हैं. चलिए बताते हैं आपको…

बताते चलें कि एनपीएस स्कीम में निवेश करने का फायदा जहां आपको रिटायरमेंट प्लानिंग करने में होता है. वहीं इससे आपको हर साल 50,000 रुपए तक एक्स्ट्रा इनकम टैक्स छूट भी मिलती है. एनपीएस का पैसा पेंशन फंड रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) के पास रजिस्टर्ड फंड मैनेजर्स करते हैं.

ये फंड मैनेज करते हैं आपकी पेंशन का पैसा?

पीएफआरडीए के पास रजिस्टर्ड फंड्स में एक्सिस पेंशन फंड, आदित्य बिड़ला सन लाइफ पेंशन, एचडीएफसी पेंशन, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल पेंशन, कोटक महिंद्रा पेंशन, मैक्स लाइफ पेंशन और टाआ पेंशन मैनेजमेंट फंड शामिल हैं. इसके अलावा सरकारी फंड मैनेजर्स जैसे कि एलआईसी पेंशन, यूटीआई पेंशन और एसबीआई पेंशन मैनेजमेंट भी आपके पेंशन के पैसे को मैनेज करते हैं.

मिड और स्मॉल कैप में क्यों निवेश नहीं करती सरकार?

एनपीएस में सरकार के भीतर काम करने वाले हर तरह के कर्मचारी का पैसा जमा होता है. वहीं देश के लगभग हर तबके के लोग इसमें अपने-अपने हिसाब से निवेश करते हैं. इसलिए सरकार की कोशिश होती है कि निवेशकों के पैसे पर ज्यादा से ज्यादा रिटर्न मिले, लेकिन उस पर रिस्क कम से कम हो. इसके लिए पेंशन के पैसे को अधिकतर लार्ज कैपिटल कंपनियों, स्थापित कंपनियों, सॉवरेन और डेट (Debt) माध्यमों में निवेश किया जाता है.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियों में भले रिटर्न अच्छा मिले, लेकिन इसमें रिस्क फैक्टर ज्यादा होता है. इस वजह से भी सरकार पेंशन का पैसा इन कंपनियों में लगाने से बचती है.

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