@शब्द दूत ब्यूरो (19 फरवरी, 2024)
मौसम के बदलते मिजाज और जलवायु परिवर्तन का सीधा असर तापमान पर पड़ रहा है। उत्तराखंड के चारों धामों सहित ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी के बावजूद भी तापमान में गिरावट दर्ज नहीं हुई। दरअसल यही मौसम वैज्ञानिकों के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक आने वाले दस साल में सामान्य तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो सकती है, जो निःसंदेह चिंता का विषय है।
इस साल फरवरी के शुरुआत में साल की पहली और पांच फरवरी को दूसरी बार बारिश-बर्फबारी हुई थी। इसके बाद रविवार को पर्वतीय जिलों में कहीं-कहीं हल्की बारिश के तीसरी बार बर्फबारी हुई। पहली-दूसरी बारिश-बर्फबारी से मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान में कमी दर्ज की गई थी। लेकिन, तीसरी बार हुई बर्फबारी से मैदानी इलाकों के तापमान में कोई खास असर नहीं पड़ा। यही वजह रही कि मैदानी इलाकों में ठंड का कम अहसास हुआ।
मौसम वैज्ञानिक तापमान में बढ़ोतरी का मुख्य कारण बारिश न होना भी मान रहे हैं। आंकड़ों में नजर डालें तो इस महीने पूरे प्रदेश में सामान्य बारिश का आंकड़ा छह फीसदी कम है। यानी पूरे उत्तराखंड में अभी तक 37.5 एमएम बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन अभी तक सिर्फ 35.4 एमएम ही हुई है।