बागेश्वर ।उत्तराखंड के बागेश्वर जिले का 36 वर्षीय युवक रहस्यमय तरीके से ग्रैंड ट्रंक एक्सप्रेस जो कि भोपाल से नई दिल्ली के बीच चलती है से गायब हो गया। कांडा बागेश्वर का रहने वाला महेश चंद्र चंदोला नासिक महाराष्ट्र में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता है। 8 सितंबर को महेश नासिक से दिल्ली के लिए पंजाब मेल के जनरल बोगी में चढ़ता है। गाड़ी में बैठने पर महेश अपने घर फ़ोन करके घर वालो को अपने घर के लिये चल देने की सूचना देता है। घर पर उसके माँ/ बाप/ और गर्भवती पत्नी महेश की घर आने की तैयारी में लग जाते है। गाड़ी नासिक से चलकर भोपाल पहुचती है। भोपाल पहुचने से थोड़ी देर पहले महेश की पंजाब मेल के एक वेंडर से कुछ कहा सुनी हो जाती है। वेंडर का नाम भोपाल स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज देखने पर रेलवे पुलिस के माध्यम से पता चला। वेंडर का नाम बालमुकुंद बताया जा रहा है जो कि भोपाल का ही निवासी है।
बालमुकुंद द्वारा महेश को जबरन ट्रेन से उतार कर भोपाल रेलवे स्टेशन पर रेलवे पुलिस फ़ोर्स के हवाले कर दिया, ये स्थिति कैसी रही होगी कि एक व्यक्ति को बिना उसके समान के कोई स्टेशन पर उतार कर उसको रेलवे पुलिस के हवाले कर दे। जब तक महेश पुलिस वालों को समझा पाता तब तक पंजाब मेल स्टेशन से जा चुकी थी और ट्रेन के साथ महेश का सामान भी जा चुका था। महेश द्वारा शायद इस तरह की किसी घटना होने का अनुमान हो गया होगा और शायद इसीलिए उसने अपने भाई को जो कि आसाम के दीमापुर स्थित एयरपोर्ट पर कार्यरत है, को फ़ोन किया मगर उसके भाई ने फ़ोन नही उठाया शायद किसी कार्य मे व्यस्त होगा। मगर जब उसके भाई ने 10 मिनट बाद महेश को वापिस फ़ोन किया तो महेश का नंबर स्विच ऑफ आ रहा था।
1 दिन बाद भी जब महेश का फ़ोन नही आया तो घरवालो को चिंता हुई और उन्होंने नासिक में महेश के सहकर्मियों को फ़ोन कर महेश के बारे मे जानकारी हासिल की और महेश के घर न पहुँचने की बात बताई। महेश से सहकर्मियों द्वारा नासिक रेलवे स्टेशन की सीसीटीवी देखी तो उसमें महेश पंजाब मेल में चढ़ता हुआ दिखाई दिया। फ़ोन की लोकेशन पता करने पर घरवालो को पता चला कि आखरी लोकेशन भोपाल की आयी थी और ये लगभग वही समय है जब महेश ने अपने भाई को फ़ोन किया था।
15 तारीख को जब महेश के परिजन भोपाल पहुचे तो उनको पता चला उस दिन महेश चंदोला और बालमुकुंद के बीच हुए झगड़े के बारे में रेलवे पुलिस द्वारा जो और बाते बताई गई कि वो इस केस को और भी पेचीदा बना देती है। रेलवे पुलिस ने बताया कि महेश को चौकी लाने के बाद उन्होंने उसको बहुत देर तक बैठाया और बताया कि महेश की स्थिति अच्छी नही लग रही थी। रेलवे पुलिस द्वारा उसको खाना खिला के लगभग 4 घंटे बाद आई जीटी एक्सप्रेस जो कि भोपाल से चल कर दिल्ली को जाती है उस गाड़ी मे बैठा दिया। भोपाल रेलवे पुलिस द्वारा यह भी दावा किया गया की महेश के पास 1350 रु नकद थे जो कि भोपाल से दिल्ली या उसके गाँव आने के लिए भी पर्याप्त थे।
परिजनों द्वारा नई दिल्ली और निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन की सीसीटीवी फुटेज चेक की गई तो महेश के दिल्ली पहुँचने का कोई सुराग नही मिला। परिजनों द्वारा भोपाल पुलिस में महेश की लापता होने की शिकायत दर्ज कराई। जिसपर भोपालपोलिस ने बाल मुकुंद पर धारा 341 के तहत कार्यवाही करी, मगर पुलिस महेश के बारे मे कोई सुराग नही लगा पायी।
महेश के साथ क्या हुआ ये किसी को नही पता और उत्तराखंड का एक और नौजवान किसके प्रकोप का शिकार हुआ ये राज़ का राज की रह गया।
पिछले 15 दिनों से 2 राज्यो की पुलिस महेश को नही ढूढ़ पायी। उत्तराखंड की पुलिस द्वारा इस केस में हस्तक्षेप करने से साफ यह कह कर मनाकर दिया क्योंकि ये उनकी राज्य सीमा मे नही आता।
महेश के साथ क्या हुआ? क्या एक माँ बाप एक भाई एक पत्नी और उसके होने वाले बच्चे को जानने का उतना ही हक़ है जितना आपके और मेरे लिए साँस लेना या पानी पीने का, आपका एक ट्वीट शेयर या सवाल शायद इस सोये हुए सिस्टम को जगाने के लिए काफी होगा।
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