नई दिल्ली । पूर्व प्रधानमंत्री स्व राजीव गांधी ने कहा था कि केन्द्र से जो एक रुपया विकास योजनाओं के लिए चलता है उसमें से 15 पैसे ही पहुंच पाते हैं। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो स्व राजीव गांधी के इस बयान को उद्धृत करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा था। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अटल आयुष्मान योजना में हुए घोटाले ने साबित कर दिया है कि स्व0 राजीव गांधी ने जो कहा था वह मोदी सरकार में भी सच साबित हो गया है।
उत्तराखंड में अटल आयुष्मान योजना में हुये महाघोटाले ने इस योजना के मूल उद्देश्य को ही खत्म कर दिया है। और इस बार तो मोदी के कट्टर समर्थकों ने ही बता दिया है कि मोदी के नाम पर उन्हें घोटाला करने की छूट मिल गई है। काशीपुर का एम पी मेमोरियल हास्पिटल ने घोटाले की जो इबारत लिखी है वह शर्मसार करने वाली है।
उत्तराखंड के काशीपुर में हुये अटल आयुष्मान घोटाले की गूंज पीएमओ कार्यालय तक पहुंच गई है। सूत्र बताते हैं कि उत्तराखंड में हुये अटल आयुष्मान घोटाले को लेकर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए गये हैं। कई घंटों तक लिखी गई इस सबसे लंबी एफआईआर को लेकर दिल्ली में भी हलचल मची हुई है। सूत्र बताते हैं कि इस मामले की पूरी रिपोर्ट तलब की गई है। और नर्सिंग होम संचालक के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई के संकेत हैं। साथ ही इस मामले में कुछ अधिकारियों पर भी कार्रवाई की बात कही जा रही है। वहीं इस मामले में अस्पताल संचालक के अलावा उन लोगों के भी रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं जो उनके सहयोगी के रूप में रहे हैं। कुछ समाजसेवियों पर भी निगाह रखी जा रही है।
क्या है मामला
अटल आयुष्मान योजना के रामनगर रोड स्थित एमपी नर्सिंग होम में कई अनियमिताएं पाई गई थीं। चार जुलाई 2019 को अस्पताल संचालक डॉ. संतोष श्रीवास्तव को 17 आरोपों पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। 19 जुलाई को अस्पताल संचालक ने नोटिस का जबाव दिया। जबाव मिलने के बाद समीक्षा में पाया गया कि योजना में अस्पताल में दिसंबर 2018 से फरवरी 2019 तक 815 केस किये गये। आईसीयू बेड की क्षमता दस होने के बाद भी 20 मरीज दिखाये गये। नार्मल बेड का चार्ज 1800 की जगह 2700 तथा आईसीयू का चार्ज 3600 रुपये लिया गया। जांच में अस्पताल ने 7.20 लाख का क्लेम अधिक लिया। तीन अक्तूबर 2018 से नौ जून 2019 तक 1773 डायलिसिस किये गये। अनुबंध के समय डॉ. सौरभ मयंक को नेफ्रोलॉजिस्ट दिखाया गया, लेकिन वह अस्पताल में उपलब्ध नहीं मिले। 28 सितंबर 2018 से आठ जून 2019 तक पांच मरीजों की मृत्यु हुई, लेकिन अस्पताल ने इसकी कोई सूचना नहीं दी। जांच के बाद 32 केस निरस्त होने योग्य पाये गये। अस्पताल में साधारण मरीजों को भी आयुष्मान में दिखा दिया गया। अस्पताल ने 85 केसेज में 6.50 लाख का क्लेम किया, जिसमें 22 केस प्री आर्थो के थे। पुलिस ने अस्पताल संचालक और अन्य के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471 के तहत केस दर्ज कर लिया है।