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सीबीआई जांच कांग्रेस के लिए संजीवनी, सत्ताधारी नेताओं के स्टिंग की जांच को कोर्ट जायेगा विपक्ष? जनता दर्शक की भूमिका में

शब्द दूत ब्यूरो

काशीपुर । सीबीआई जांच क्या उत्तराखंड कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित होने जा रही है? मौजूदा हालात तो इसी ओर इशारा करते नजर आ रहे हैं। लंबे समय से कांग्रेस के वरिष्ठ और दिग्गज नेताओं द्वारा एक दूसरे के विरूद्ध बयानबाजी की कहानियां बनती रही है। यहाँ तक कि कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद संगठन और सरकार के बीच खींचतान के चलते आज कांग्रेस सत्ता से बाहर है। सत्ता से बाहर होने के बाद भी कांग्रेसियों में आपस में तलवारें खिंची रही। परिणामस्वरूप आज प्रदेश में कांग्रेस केवल अपनी उपस्थिति मात्र ही दर्ज करा रही है। ऐसा इसलिए हुआ कि कांग्रेस में बड़े नेताओं की भरमार हो गयी। प्रदेश स्तर के कांग्रेस नेताओं ने अपने अपने समर्थकों के गुट बना लिए। 

प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह हों दिग्गज कांग्रेस नेत्री इंदिरा ह्रदयेश हों या किशोर उपाध्याय हों ये सब हरीश रावत को दरकिनार करने की कोशिश में लगे रहे। और भाजपा ने कांग्रेस की इसी गुटबाजी का लाभ उठाकर कांग्रेस को पूरे देश के साथ उत्तराखंड में भी हाशिये पर ला खड़ा किया। लेकिन हरीश रावत के विरूद्ध सीबीआई जांच को लेकर जिस तरह से कांग्रेस के दिग्गज एक साथ आये उससे लगता है कि कांग्रेस नेताओं ने पिछली गलतियों से सबक ले लिया है। उधर कांग्रेस की इस औचक एकजुटता से सत्ताधारी दल में बेचैनी शुरू हो गई है। 

कांग्रेस ने अब प्रदेश में रणनीति बदलने का मन बना लिया है। प्रदेश सरकार की नाकामियों पर हमले तेज करने के लिए कांग्रेस अब नये सिरे से तैयार हो रही है। हालांकि इसमें भी सरकार की सीबीआई जांच की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। सीबीआई जांच के बहाने एकजुट कांग्रेस की यह एकजुटता सत्ताधारी दल को भारी पड़ने जा रही है। एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता का कहना है कि सीबीआई जांच का मामला उल्टा पड़ेगा। स्टिंग वाले मामले में कई कमजोर पेंच हैं। जिनकी वजह से हरीश रावत को घेरना मुश्किल नजर आ रहा है। खुद हरीश रावत यह कहते हैं कि खुल के जांच करो। मैं हर जांच में सहयोग करने को तैयार हूँ। 

वही सूत्र बताते हैं कि एक और स्टिंग आपरेशन की जांच की तैयारी की जा रही है लेकिन यह जांच विपक्षी नेताओं की नहीं सत्ताधारी नेताओं के स्टिंग की होगी। इसके लिए विपक्ष कोर्ट का सहारा ले सकता है। सूत्रों के अनुसार स्टिंग को लेकर प्रदेश की राजनीति में भूचाल आने वाला है। स्टिंग बनाम स्टिंग का खेल सत्ता और विपक्ष के बीच खेला जाएगा जबकि जनता दर्शक की भूमिका में नजर आयेगी। 

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