हल्द्वानी । प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधायें बदहाल हैं और सरकार जुगाड़ कर स्वास्थ्य सुविधायें मुहैया करा रही है। हल्द्वानी निवासी हेमंत गौनिया द्वारा मांगी गई सूचना से स्वास्थ्य महकमे की पोल का खुलासा हुआ है। राज्य के सरकारी चिकित्सालयों में 2735 चिकित्सकों के स्वीकृत पदों के सापेक्ष 1276 पद रिक्त चल रहे हैं।
सूचना अधिकार के तहत हेमंत गौनिया को अवगत कराया गया है कुल 1044 चिकित्सक नियमित रूप से कार्यरत हैं। जबकि 511 चिकित्सक एमबीबीएस सामान्य व 415 विशेषज्ञ चिकित्सक संविदा पर काम कर रहे हैं। यहाँ गौरतलब है कि अधिकांश संविदा चिकित्सकों के अपने क्लीनिक या नर्सिंग होम हैं। ऐसे में आप संविदा पर कार्यरत चिकित्सकों से सरकारी दर पर इलाज मुहैया कराने की अपेक्षा कैसे कर सकते हैं। ये एक बड़ा सवाल है।
विभाग ने जो आंकड़े उपलब्ध कराये हैं वह बताते हैं कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का सरकार का अपना दावा कहीं नहीं टिकता। राज्य में सर्जन के स्वीकृत 134 पदों के सापेक्ष 35 चिकित्सक कार्यरत हैं यानि 99 पद सर्जन के रिक्त हैं। फिजिशियन के 131 स्वीकृत पदों में से 102 पद रिक्त, आर्थोपैडिक के 101 पदों में से 61, नेत्र सर्जन 75 में से 32, एनैस्थैटिक 146 में से 93, रेडियोलाजिस्ट 137 में से 100,पैथोलाजिस्ट के 74 पदों में से 46, ईएनटी के 48 पदों में से 29 बाल रोग विशेषज्ञ 140 पद में से 80 गाइनोकालोजिस्ट के 171 में से 123,कार्डियोलॉजिस्ट के 42 में से 40 पद, चर्म रोग विशेषज्ञ 35 में से 30, न्यूरो सर्जन 4 में से 2 प्लास्टिक सर्जन के 3 में से 3 यूरोलाजिस्ट के 3 में से 3, मनो रोग विशेषज्ञ 6 में से 4 पद, रिक्त हैं।
ऐसे में राज्य की स्वास्थ्य सुविधाओं के पटरी पर आने की उम्मीद करना बेमानी है। बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय खुद मुख्यमंत्री के पास है।