प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर कहते हैं कि सुधार के लिए कुछ सख्त फैसले लेने पड़ते हैं। लेकिन लगता है कि प्रधानमंत्री के इसी कथन ने उन्हें फंसा दिया है। और इस बार यह काम विपक्ष ने नहीं उनके अपने ही मंत्रिमंडल के एक साथी ने किया है। नितिन गडकरी केन्द्रीय परिवहन मंत्री ने ऐसा दांव खेला है कि प्रधानमंत्री मोदी अपने मंत्री के इस फैसले पर न तो समर्थन में बोले और न विरोध में। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के दोनों कार्यकाल में यह पहला मौका है जिसका श्रेय लेने में प्रधानमंत्री बच रहे हैं। नये मोटर व्हीकल एक्ट को लेकर प्रधानमंत्री की ओर से यहाँ तक कि परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के अलावा किसी अन्य मंत्री की प्रतिक्रिया समर्थन में नहीं आई है। इसके विपरीत इस एक्ट के विरोध में जरूर भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के बयान आये हैं।
हालांकि नितिन गडकरी जब इस नियम के बारे में बात करते हैं तो मोदी सरकार का नियम कहकर संबोधित करते हैं। बता दें कि नितिन गडकरी कई बार अपने बयानों को लेकर चर्चाओं में रहते हैं। गाहे-बगाहे उनके बयान मोदी को इशारा करते हुए आये हैं। बाद में गडकरी अपने बयानों के लिए सफाई भी देते हैं कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया है। गौर कीजिए नितिन गडकरी कहते हैं कि मोदी सरकार इतने सख्त नियम सिर्फ इसलिए लागू कर रही है, ताकि लोगों में कानून के लिए सम्मान के साथ-साथ एक डर रहे।
अमूमन केन्द्र के फैसले का विरोध विरोधी दल शासित राज्यों में होता आया है लेकिन यह पहली बार है जब भाजपा शासित राज्य ही इस फैसले को लागू करने से बच रहे हैं। ऐसे में परिवहन मंत्रालय के इस फरमान से जाहिर होता है कि यह फैसला मोदी की बढ़ती लोकप्रियता पर लगाम लगाने जैसा है। जो राज्य मोटर व्हीकल एक्ट के नए नियम लागू करने में आनाकानी कर रहे हैं, उसकी एक बड़ी वजह है राजनीति। शुरुआत में तो मध्य प्रदेश, राजस्थान और पश्चिम बंगाल ने नए नियम पर सवाल उठाए। तीनों ही जगह भाजपा नहीं है।ऐसे में राजनीतिक रूप से विरोध करना ही था। बाकी राज्यों में भी जब लोगों ने विरोध किया तो अपना वोटबैंक बचाने के लिए गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, बिहार, गोवा जैसे राज्यों में कानून में सख्ती में बदलाव करने की शुरुआत हुई।
वैसे अभी इन नियमों में और भी बदलाव होंगे। यहां आपको बता दें कि हर राज्य में ट्रैफिक रूल्स राज्य के हिसाब से होते हैं, ना कि केंद्र के।ऐसे में जरूरी नहीं कि केंद्र के नियम सभी राज्य मानें। और भी यही रहा है। खैर, जो राज्य नियम में बदलाव कर रहे हैं, उन्हें आज नहीं तो कल ये बताना ही होगा कि कैसे वह सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या पर कंट्रोल करेंगे।