देहरादून। एक बार फिर उत्तराखंड में फर्जी संस्था द्वारा मेडिकल की डिग्री दिये जाने का मामला चर्चाओं में है। बता दें कि फर्जी डिग्री का मामला देश में लगातार उठता रहा है। यहाँ तक कि केन्द्रीय मंत्रियों की डिग्री पर भी सवाल उठते रहे हैं। ताजा मामला देहरादून के रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी का सामने आया है। आरोप है सुभारती यूनिवर्सिटी को एम सी आई की मान्यता नहीं है। सूचना के अधिकार में इस बात का खुलासा हुआ है। ऐसे में 150 छात्रों का भविष्य अंधकार में पड़ गया है।
भाजपा के मनीष वर्मा ने कहा है कि हाल ही में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने एक तीन सदस्यीय समिति का गठन कर तीन सप्ताह के भीतर देशभर की फर्जी यूनिवर्सिटीज की जांच कर उन्हें डिग्री देने पर बैन लगाने का आदेश दिया है।
बता दें कि केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री डा0 रमेश पोखरियाल निशंक उत्तराखंड से ही हैं। ऐसे में यह दिलचस्प रहेगा कि क्या डा निशंक अपने ही गृह राज्य में चल रही फर्जी यूनिवर्सिटीज के विरूद्ध कार्रवाई करेंगे।एक खास बात यह है कि इस विश्वविद्यालय की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत यानि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुई थी।
मनीष वर्मा कहते हैं कि क्या मानव संसाधन मंत्री के अपने राज्य उत्तराखंड में रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय द्वारा अपने 150 छात्रो को दी गयी फर्जी एमबीबीएस की डिग्री की जांच कर कड़ी कार्यवाही की जाएगी ?
छात्रों को यह डिग्री बिना एमसीआई की मान्यता लिए दे दी गयी और जब छात्रो को फर्जीवाड़े का पता चला तो छात्र सुप्रीम कोर्ट की शरण मे गए व तब जाकर छात्रो को राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट किया गया ।
अब बड़ा सवाल यह कि छात्रो के 2.5 साल बर्बाद हुए व अब तक इस फर्जी विश्विद्यालय पर कार्यवाही क्यों नही की गई ? यह सरकार पर एक प्रश्न चिन्ह लगाता है।