शब्द दूत ब्यूरो
नई दिल्ली। क्या मोदी सरकार फैसले आनन-फानन में लेकर लागू कर देती है? यह सवाल उठा है धारा 370 हटाने को लेकर और जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन अध्यादेश को लेकर। इस अध्यादेश को एक महीने पहले देश के राष्ट्रपति ने पास किया था। यह तो संवैधानिक परंपरा है कि केन्द्र द्वारा पारित करने के बाद राष्ट्रपति ही उसे पास कर सकते हैं। ऐसा कम ही हुआ है कि राष्ट्रपति ने सरकार द्वारा पारित किसी अध्यादेश को लौटाया हो। लेकिन ऐसा शायद पहली बार बार हुआ है कि राष्ट्रपति ने भारी कमियों से युक्त अध्यादेश पास किया। दरअसल केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019 में कई त्रुटियां छोड़ दी थी। पास होने के एक माह बाद त्रुटियों का शुद्धि पत्र जारी किया गया है। तब विपक्ष ने भी आरोप लगाया था कि बिल में कई त्रुटियां है तब सरकार ने इसे महज विरोध करने के लिए विपक्ष का झूठा आरोप बताया था। लेकिन अब सरकार ने विपक्ष के आरोप को सही साबित कर दिया है। पूरे अध्यादेश में 52 गलतियां सरकार ने अब स्वीकार कर ली हैं।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019 में हुई त्रुटियों को केंद्र सरकार ने हटा दिया है। विपक्ष ने पिछले महीने आरोप लगाया गया था कि कानून जल्दबाजी में लाया गया है और इसमें कई त्रुटियां हैं। करीब एक महीने बाद सरकार ने गुरुवार को त्रुटियों में सुधार किया और इसके लिए तीन पन्ने का शुद्धि पत्र लाते हुए जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून में सुधार करने की घोषणा की। संसद ने सात अगस्त को कानून पास किया था और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा इसे मंजूरी देने के बाद इसकी गजट अधिसूचना नौ अगस्त को जारी की गई। जो सुधार किए गए हैं उनमें वर्ष 1909 को 1951 किया गया है। एक शब्द में छूट गए ‘आई’ को जोड़ा गया है और एक शब्द में लगे अतिरिक्त ‘टी’ को हटा दिया गया है। कानून में एडमिनिस्ट्रेटर में ‘एन’ के बाद ‘आई’ शब्द छूट गया था, आर्टिकल में ‘टी’ के बाद ‘आई’ छूट गया था, टेरीटरीज में दो ‘टी’ लग गए थे।
सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को अधिसूचित करने के दौरान जो 52 गलतियां हुई थीं, उनमें से ये कुछ उदाहरण हैं। कानून में इस बात का भी जिक्र था कि जम्मू-कश्मीर के संसदीय क्षेत्रों का परिसीमन किया जाएगा। शुद्धि पत्र में अब इस वाक्य को हटा दिया गया है।