देहरादून। लगभग 14 साल के लम्बे इंतजार के बाद प्रतापनगर के लोगों के लिए जल्द ही वह लम्हा आने वाला है जिसका उन्हें वर्षों से इंतजार था। टिहरी को प्रतापनगर से जोड़ने वाला डोबराचांठी पुल बनकर लगभग तैयार है। डोबराचांठी पुल की सतह को आपस में जोड़ने का काम पूरा किया जा चुका है। रेलिंग और कोटिंग के बाद रोड सेफ्टी की एनओसी लेने के बाद इस पर अगले वर्ष मार्च तक लोगों की आवाजाही शुरू कर दी जाएगी।
440 मीटर लंबा डोबराचांठी पुल भारत का सबसे लम्बा मोटरेबल सिंगल लेन झूला पुल है। कई अन्य संस्थाओं के असफल हो जाने के बाद कोरियन कंपनी से इसकी डिजायनिंग कराई गई। पुल की लागत लगभग 150 करोड़ रूपए है। मुख्य सेतु के स्पान 440 मीटर में से 250 मीटर की लम्बाई में डैक लगाने का काम पूरा किया जा चुका है। शेष लम्बाई में कार्य चल रहा है। मार्च 2020 तक पुल आवाजाही के लिये प्रारंभ कर दिया जाएगा
साल 2006 से भागीरथी नदी पर बांध प्रभावित क्षेत्र प्रतापनगर और थौलधार को जोड़ने के लिए पुल का निर्माण कार्य चल रहा है। टिहरी झील के ऊपर बनाया जा रहा डोबरा चांठी पुल का निर्माण कार्य पूरा होने से 3 लाख से ज्यादा की आबादी को जिला मुख्यालय तक आने के लिए 100 किलोमीटर की दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी। टिहरी आने वाले पर्यटक प्रतापनगर भी आ सकेंगे। आवागमन की सुविधा होने से क्षेत्र की आर्थिकी में भी इजाफा होगा।
प्रतापनगर आने-जाने के लिए बने पुल टिहरी झील में डूब गए थे। इस वजह से प्रतापनगर के लोगों को नई टिहरी, देहरादून, ऋषिकेश आने-जाने की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। मार्च 2020 तक पुल के बन जाने से प्रतापनगर के लोगों की आवागमन संबंधी कठिनाइयां समाप्त हो जाएंगी।
डोबरा चांठी पुल का कार्य देख रहे लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता शिव कुमार राय का कहना है कि पुल के दोनोंओर 440 मीटर लंबी रेलिंग लगाई जानी है। फिर रेलिंग के ऊपर कोटिंग का काम होना है। इस कार्य के लिए तापमान कुछ गर्म चाहिए होता है। साथ ही पुल में आवाजाही के लिए रोड सेफ्टी विभाग की एनओसी जरूरी है। इसलिए पुल पर आवागमन मार्च, 2020 में ही शुरू हो पाएगा।