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पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि: देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जीवन का अंतिम दिन, क्या हुआ उस दिन?

@लेखक पंकज चतुर्वेदी (देश के जाने-माने पत्रकार और चिंतक हैं)

देशकी आज़ादी के महान नायक , आज़ाद देश की प्रगति के शिल्पकार और 16 साल 9 महीने , 12 दिन तक देश के प्रधान मंत्री रहे पंडित जवाहरलाल नेहरु की आज पुण्य तिथि है । वे महज 75 साल जिये।

असल में पंडित जी कई दिनों से बीमार थे . बात 19 64 की है – उन्हें दिल का दौरा पड़ा । पंडितजी जी शिथिल हो गए लेकिन देश के सामने खड़ी चुनोतियाँ उन्हें आराम नहीं लेने दे रही थीं । 26 मई की शाम आठ बजे ही वे चार दिन देहरादून से अवकाश बिता कर आये थे ।

डॉक्टर के एल विग अक्सर उनका इलाज करते और दवाओं के साथ-साथ हिदायतें भी देते। डॉक्टर विग ने उनके निजी सेवा स्टाफ को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दे रखी थी कि ‘नेहरूजी को एक पल के लिए भी अकेला न छोड़ा जाए।”

कुलदीप नैयर की किताब “एक जिंदगी काफी नहीं ” के मुताबिक डाक्टर विग की इस चेतावनी का पालन कुछ दिनों तक हूबहू हुआ भी। पंडित नेहरू का स्टाफ उन्हें प्रात: उठने से लेकर रात्रि में वापस शयन तक एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ता। किंतु बाथरूम में नहाते समय तो उन्हें अकेला छोड़ना ही पड़ता था। हालांकि डॉक्टर ने तो उस समय भी अकेला छोड़ने के लिए नहीं कहा था, किंतु नेहरू ने अपने स्टाफ को इस मामले में दूर रहने के लिए कहा था।

मगर उनका यह कहना ही घातक साबित हुआ। 27 मई 1964 को वे रोज की तरह अपने स्नान गृह में गए। उस समय उनके स्टाफ में कोई भी उनके पास नहीं था। नेहरू स्नान गृह में गए, किंतु जीवित नहीं लौटे क्योंकि न जाने किस क्षण वे अचेत होकर बाथरूम में गिर पड़े। बाद में उनके डॉक्टर विग ने परीक्षण कर खुलासा किया था कि ‘वे मृत्यु के बाद एक घंटे से ज्यादा समय तक उसी अवस्था में पड़े रहे थे।”

27 मई की सुबह साढ़े छ बजे ही उन्हें बाथरूम में पक्षाघात अर्थात पैरालिसिस का अटक हुआ जब तक डॉक्टर्स आते, उन्हें दिल का दौरा पड़ गया .आश्चर्यजनक ढंग से नेहरू की मृत्यु के बाद उनका पार्थिव शरीर बाथरूम में करीब एक घंटे तक उसी अवस्था में पड़ा रहा,जिस अवस्था में वह मृत्यु के समय था।

दिन में दो बजे आकाशवाणी ने उनके निधन की घोषणा आकर दी और तीन मूर्ति के बाहर लाखों लोग आंसू के साथ एकत्र हो गए .

कैसा दुर्भाग्य है कि हमारा मिडिया, जिसका कर्तव्य देश को जागरूक बनाना है , आज के महत्वपूर्ण दिन को , जिस दिन भारत के निर्माता का निधन हुआ , को पहले पन्ने क्या भीतर भी जगह नहीं दे रहा , यदि हम अपने अतीत के प्रति कृतज्ञ नहीं होंगे तो हमारा भविष्य हमें भी कचरे के डिब्बे में डाल ल देगा .
राजस्थान सरकार जरुर आज नेहरूजी पर एक आयोजन कर रही है , मेरी राय में ऐसे आयोजन समाज की तरफ से होना चाहिए
आज पंडित नेहरु की ये सूक्तियां बहुत प्रासंगिक हैं —

1 नागरिकता देश की सेवा में होती हैं।
2 संस्कृति मन और आत्मा का विस्तार है।

3 लोकतंत्र अच्छा है. मैं ऐसा इसलिए कहता हूं क्योंकि अन्य प्रणालियां इससे बदतर हैं।

4 संकट में हर छोटी सी बात का महत्व होता है।

5 तथ्य, तथ्य हैं और किसी की पसंद से गायब नहीं होते हैं।

6 विफलता तभी होती है जब हम अपने आदर्शों, उद्देश्यों और सिद्धांतों को भूल जाते हैं।

7 एक महान कार्य में लगन और कुशल पूर्वक काम करने पर भी, भले ही उसे तुरंत पहचान न मिले, अंततः सफल जरूर होता है।

8 लोगों की कला उनके मन का सही दर्पण है।

9 एक पूंजीवादी समाज की शक्तियों को अगर अनियंत्रित छोड़ दिया जाए, तो वे अमीर को और अमीर तथा गरीब को और गरीब बना देती हैं।

10 वह व्यक्ति जिसे वो सब मिल जाता है जो वो चाहता था, वह हमेशा शांति और व्यवस्था के पक्ष में होता है।

11 शांति के बिना अन्य सभी सपने गायब हो जाते हैं और राख में मिल जाते हैं।

12 आप दीवार के चित्रों को बदल कर इतिहास के तथ्यों को नहीं बदल सकते हैं।

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