नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने माना है कि जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर राजद्रोह का केस नहीं बनता। दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस के उस आग्रह को खारिज करने का निर्णय लिया है जिसमें कन्हैया कुमार व यूनिवर्सिटी के अन्य छात्रों पर पर केस चलाने की बात कही गई थी।
दिल्ली सरकार के गृह विभाग की राय है कि जेएनयू परिसर में 9 फरवरी 2016 की घटना के दौरान आरोपी की गतिविधियां राष्ट्र के खिलाफ राजद्रोह की नहीं बनती हैं। सिटी कोर्ट में इस मामले पर 18 सितंबर को सुनवाई होनी है।
गृह विभाग के अनुसार रिकॉर्ड में जो चीजें मौजूद हैं, एफआईआर उतनी दमदार नहीं है जिससे कि हिंसा को उकसा कर राष्ट्र के खिलाफ राजद्रोह या देश की संप्रभुता पर हमले का मामला बनता हो। एक अधिकारी ने बताया कि एफआईआर के आधार पर आईपीसी की धारा 124ए के तहत आरोपत्र दाखिल किए गए 10 आरोपियों के खिलाफ राजद्रोह का मामला नहीं बनता है।
ऐसे में सीआरपीसी की धारा 196 भी अवांछित है। हालांकि, इस बारे में दिल्ली के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन और प्रधान सचिव (गृह) रेनू शर्मा की तरफ से फोन और लिखित संदेशों का जवाब नहीं दिया गया। सरकार के प्रवक्ता ने कहा जो भी निर्णय लिया जाएगा वह पुलिस के पास उपलब्ध सामग्री के आधार पर ही लिया जाएगा।
दिल्ली सरकार के मुताबिक चार्जशीट में पुलिस की तरफ से सबूत के रूप में पेश किए गए वीडियो में भी कथित रूप से राष्ट्र विरोधी नारे लगाने वालों का वास्तविक चेहरा सामने नहीं दिखाई दे रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यहां तक कि शिकायतकर्ता दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर वीरेंद्र कुमार ने भी किसी के द्वारा कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब करने के इरादे से राष्ट्र विरोधी नारा लगाए जाने का जिक्र नहीं किया है।