खटीमा से रोहित कुमार वर्मा की रिपोर्ट
1 सितंबर 1994 को उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान खटीमा में गोली कांड हुआ था। जिसमें कई लोग घायल हुए थे और कई लोग इस में शहीद हुए थे। कल 1 सितंबर है। तमाम नेता और मंत्री शहीदों के इस शहर के लिए बयान जारी करेंगे। हो सकता है कोई घाघ नेता दो आंसू भी बहाने का नाटक कर दे। पर खटीमा वाले सुविधाओं के अभाव में रोज आंसू बहाते हैं।
उत्तराखंड राज्य की कल्पना जिस आधार पर की गई थी। उससे उलट परिणाम राज्य निर्माण के बाद हुए है ।विकास के नाम पर केवल झुनझुना थमा कर खटीमा के लोगों को बेवकूफ बनाया जाता है। खटीमा 70 विधानसभा उत्तराखंड का अंतिम विधानसभा क्षेत्र होने के कारण यहां पर विकास ना के बराबर हुआ है। केवल संजय रेलवे पार्क रेलवे की जमीन पर आकर छोटे से शहीद स्थल पर विकास की कल्पना कैसे की जा सकती है।
आईये आपको बताते हैं कि खटीमा के हाल हैं क्या?यहाँ समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। सिलसिलेवार यहाँ के हाल देखिये। खटीमा के पास अपना रोडवेज बस स्टैंड आज तक नहीं बन पाया। बच्चों के खेलने के लिए स्टेडियम की व्यवस्था नहीं, सरकारी अस्पताल में डाक्टरों का टोटा, गली मोहल्ले ग्रामीण क्षेत्रों की सभी सड़कें टूटी फूटी और गड्ढा युक्त हैं।यहाँ आपको कहीं भी फुटपाथ नहीं नजर आयेगा
शिक्षा के क्षेत्र में और भी बुरी स्थिति है। खटीमा क्षेत्र में कहीं पर भी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कोई उचित माध्यम नहीं है।
प्रधानमंत्री पूरे देश में शौचालय बनवाने पर जोर दे रहे हैं लेकिन खटीमा नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत कहीं पर भी महिला और पुरुष शौचालय नहीं है।
यहाँ किसी भी मार्ग में रोडो में शाइनिंग बोर्ड नहीं है जिससे पता लगे यह सड़क यहां को जाती है। नगर पालिका में कहीं पर भी उचित पर्याप्त स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं है।
स्वच्छता अभियान को मुंह चिढ़ा रहा ये शहर पूरे पालिका क्षेत्र में कूड़ेदान आपको नजर नहीं आयेंगे।
खटीमा क्षेत्र में विभिन्न निर्माण कार्य में आए दिन घोटाले हो रही है जिसमें सरकार द्वारा कोई उचित कदम नहीं उठाया गया है। यहाँ डिग्री कॉलेज रोड कई वर्षों से खंडित पड़ी हुई है। मुख्यमंत्री घोषणा होने के बाद भी कार्यवाही नहीं हुई और आए दिन इस में पानी भरा रहता है।
खटीमा नगर पालिका घोटाला करने के लिए मशहूर है पर सरकार द्वारा अभी तक कोई उचित कदम नहीं उठाया गया है।
नगर पालिका के पास अपनी नालियाँ ना होने के कारण जलभराव की समस्या बनी रहती है। नगर पालिका क्षेत्र अंदर कई इमारतें जर्जर अवस्था में हैं पर शासन प्रशासन को शायद दुर्घटना का इंतजार है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि पालिका के पास ऐसे भवनों का कोई रिकॉर्ड नहीं है। अग्निशमन विभाग के पास सरकार द्वारा अभी तक कोई भी जमीन आवंटित नहीं की गई जो की जाती है राजस्व विभाग अस्वीकार कर देता है। जल संस्थान का भवन कई वर्षों से जीर्ण शीर्ण हालत में आंसू बहा रहा है। शहर में जगह-जगह बिजली के तार झूलते हुए नजर आते हैं जिससे आए दिन शहर में बिजली की व्यवस्था बाधित होती है।
यहाँ कई वर्षों से आश्रम पद्धति नाम के विद्यालय चलाए जा रहे हैं जिसका भवन कई वर्षों से नहीं बना है। नगर में जाम की भारी समस्या है जिससे खटीमा के विभिन्न मार्गों में पड़ने वाले विभिन्न कार्यालयों की वजह से आए दिन राष्ट्रीय राजमार्ग जाम होते हैं। यह बहुत गंभीर समस्या है जो कई वर्षों से चली आ रही है।
कुल मिलाकर खटीमा उत्तराखंड का एक महत्वपूर्ण शहर होने के बावजूद राज्य सरकारों की नजर में महत्वहीन है। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के अतिरिक्त सरकारें इस शहर को वर्ष भर भुलाये रहती हैं। जो इस शहर के निवासियों का दुर्भाग्य है। एक तरफ शहर वासियों को गर्व होता है कि राज्य निर्माण आंदोलन के लिए महत्वपूर्ण है तो दूसरी तरफ नेताओं के झूठे आश्वासन से दुख होता है।