हमारा उत्तराखंड देवभूमि कहलाता है। लेकिन, आज की तारीख में यह तमाम लोक गायकों की धरती बन चुका है। यहां का हर दूसरा गायक आज अपने को लोकगायक कहलवाना पसंद करता है, भले उसे लोक के ल का भी ज्ञान नहीं हो। लोक गायक होने के मायने और पैमाने क्या होने चाहिए ये पड़ोसी राज्य हिमाचल के गायक विक्की चौहान से जाना जा सकता है। उत्तरकाशी की आपदा की सूचना मिलते ही विक्की भरसक सहायता के साथ क्षेत्र के आपदाग्रस्त इलाकों की ओर दौड़ पड़ा। सही मायनों में विक्की ने ये सिद्ध तो कर ही दिया है कि लोक की पीड़ा को समझने वाला लोक को जीने वाला व्यक्ति ही असली लोकगायक हो सकता है।2