Breaking News

रोडवेज की जमीन पर बनी कालोनी, सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्न

रामनगर से नितेश जोशी

प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की धज्जियां रामनगर का रोडवेज बस अड्डे के प्रकरण ने उड़ा दी है। 6 साल पहले उजागर हुये एक मामले में सरकारी रवैया इसका प्रमाण है।  गूलरघट्टी में रोडवेज की 23 बीघा जमीन है, जिसमें आलीशान कॉलोनी बन गई और रोडवेज को पता तक नहीं चला। आपको ये भी बता दें कि रामनगर का खस्ताहाल वर्तमान बस अड्डा उसी गूलरघट्टी में ही सिमटा हुआ है। भुक्तभोगी ये भी जानते ही होंगे कि कुमाऊं और गढ़वाल के लिए महत्वपूर्ण ये बस अड्डा किस खस्ताहाल में है। आरटीआई लगी तो मामले का खुलासा 2013 में हो गया, लेकिन तब से लेकर अब तक मामला ठंडे बस्ते में ही है।

आरटीआई कार्यकर्ता ने फिर से जवाब मांगा तो रोडवेज का अमला गूलरघट्टी क्षेत्र में सर्वे करने पहुंच गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने 1992 में रोडवेज बस अड्डे के लिए गूलरघट्टी में 1.290 और 0.964 हेक्टेयर यानी 23 बीघा जमीन दी थी। खसरा खतौनी में यह जमीन रोडवेज बस अड्डे के नाम पर दर्ज है। 1992 में मिली इस जमीन को रोडवेज भूल गया और यहां पर अतिक्रमण होने लगा। धीरे-धीरे यहां पर कॉलोनी बस गई और रोडवेज को भनक तक नहीं लगी।

आरटीआई कार्यकर्ता अजीम खान ने 2013 में आरटीआई लगाई तब इस पूरे प्रकरण का पता चला। वर्ष 2013 से लेकर रोडवेज की ओर से जमीन खाली नहीं कराई गई और लीपापोती की जा रही है। आरटीआई कार्यकर्ता ने एक बार फिर से जवाब मांगा तो मंडलीय प्रबंधक काठगोदाम के निर्देश पर रोडवेज के स्टेशन प्रभारी, फोरमैन ने मौके पर पहुंचकर सर्वे किया। तो उनके पैरों तले की जमीन खिसक गई। क्योंकि, तब तक वहां तो पूरी बसावट हो गयी थी। यानि, सरकार और उत्तराखंड रोडवेज अपनी जमीन बचाने में नाकाम रही।

Website Design By Mytesta +91 8809666000

Check Also

बजट पर चर्चा :विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाली दी, केन्द्रीय मंत्री का बड़ा आरोप

🔊 Listen to this @शब्द दूत ब्यूरो (25 जुलाई 2024) संसद के दोनों सदनों में …

googlesyndication.com/ I).push({ google_ad_client: "pub-