@शब्द दूत ब्यूरो (16 नवंबर 2022)
दुनिया की आबादी आठ अरब है। लेकिन इन आठ अरब में से केवल 45 लोग ऐसे हैं जिनके पास सोने से भी ज्यादा कीमती खून है। इस खून के ब्लड ग्रुप को गोल्डन ब्लड ग्रुप कहा जाता है। वैसे तो आमतौर पर इंसान के शरीर में आठ ब्लड ग्रुप होते हैं है लेकिन वैज्ञानिकों ने एक नये ब्लड ग्रुप की खोज की है। इस बेशकीमती ब्लड ग्रुप की खासियत है कि इसे किसी को भी दिया जा सकता है। इस ब्लड ग्रुप को देवताओं का खून भी कहा जाता है।
यह सबसे दुर्लभ ज्ञात ब्लड ग्रुप है. यह भले ही इंसानों को अमर होने जैसी ताकत नहीं देता है, पर इसकी बूंद बूंद में मौजूद महत्वपूर्ण जीवन रक्षक गुण अपने आप में असाधारण हैं। दरअसल ये खून किसी भी ब्लड ग्रुप वाले इंसानों के शरीर में चढ़ाया जा सकता है। इस ग्रुप का खून बस गिने चुने लोगों में ही पाया जाता है, इसीलिए इसे दुर्लभ माना गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दुर्लभतम ब्लड ग्रुप वाले 45 लोगों की पहचान हो चुकी है। लेकिन इनमें सिर्फ 9 लोग ही ब्लड दान करने की स्थिति में है या करते हैं बाकी 36 लोग नहीं, ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें से कुछ लोग अपनी हेल्थ हिस्ट्री की वजह से रक्तदान नहीं कर सकते तो कुछ ऐसे भी है जो अपना ब्लड डोनेट नहीं करना चाहते हैं।
इस ब्लड ग्रुप के एक बूंद खून की कीमत एक ग्राम सोने से भी कहीं ज्यादा है। इसी वजह से इसे गोल्डन ब्लड ग्रुप भी कहा जाता है। किसी इंसान के शरीर में इस खून के पाए जाने की मुख्यतौर पर दो वजह सामने आई है। पहला- ‘जेनेटिक म्युटेशन’ जिसकी वजह से ये एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के लोगों में ट्रांसफर होता है। दूसरी वजह की बात करें तो ‘नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक बेहद करीबी रिश्तों खासकर चचेरे भाई, भाई-बहन या अन्य किसी रिश्तेदार के बीच शादी होने की वजह से भी उनके बच्चों में गोल्डन ब्लड पाए जाने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि इस गोल्डन ब्लड ग्रुप के लोगों में एनिमिया यानी खून की कमी का खतरा होता है। ब्रिटेन में इसे लेकर बड़े पैमाने पर शोध हुआ। जहां असिस्टेंट क्यूरेटर केटी मैकनाब इस गोल्डन ब्लड और दुर्लभ रक्त सौदों की दलाली करने वालों की पड़ताल करती हैं। वहीं सुरक्षा कारणों से ऐसे लोगों की पहचान सार्वजनिक नहीं की जाती है।