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करवा चौथ पर चौथ वसूली@राकेश अचल

आखिर करवा चौथ का व्रत करने का दिन आ ही गया. ये व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए रखती हैं,ताकि पति का लम्बे समय तक शोषण किया जा सके .इस व्रत को दूसरे पतियों की तरह मै भी समर्पण या त्याग के बजाय चौथ वसूली का व्रत मानता हूँ .भारत ही दुनिया का अकेला एक देश है जहां महिलाएं अपने पतियों की दीर्घायु के लिए एक छोड़ दो-दो व्रत करतीं हैं. करवा चौथ से पहले तीज का व्रत होता है .

मजे की बात ये है कि करवा चौथ के व्रत को लेकर इस देश में जागरूकता लगातार बढ़ रही है. ये अकेला ऐसा व्रत है जो लगातार मंहगा हो रहा है. देश में रुपिया भले ही लगातार लुढ़क रहा हो किन्तु करवा चौथ व्रत पर इसका कोई असर नहीं पड़ता .हर विवाहिता का करवा इस व्रत के पहले लुटता है या लूटा जाता है ,वो भी बिना किसी तोप-तमंचे के .इस लूट-खसोट के प्रति आप कहीं रपट भी नहीं लिखवा सकते.किसी अदालत में इसके खिलाफ कोई सुनवाई नहीं होती ,क्योंकि सभी इसका शिकार होते हैं .

भारत की महिलाओं की इस व्रत की वजह से दुनिया भर में बड़ी इज्जत है .दुनिया का बाजार भी भारतीय विवाहिताओं का बड़ा मान-सम्मान करता है. जेवरात और कपड़ों का कारोबार करने वाले तो इस व्रत के पहले से विवाहिताओं के लिए नए-नए ‘ ऑफर ‘ पेश करने लगते हैं .आजकल तो इन ऑफरों में विवाहित पुरुषों के लिए भी कुछ न कुछ होता है.और नहीं तो कम से कम इतना तो लिखा ही जाता है कि-‘ जो अपनी पत्नी से करते हैं प्यार,वे …को खरीदने से कैसे कर सकते हैं इंकार ?”

मुझे इस बात की शिकायत सत्यभान भाई साहब और उनकी पत्नी से हमेशा रहती है कि वे अपनी कहानी भारत की विवाहिताओं को सुनाकर क्यों गयीं ? घर की बात घर में रखना चाहिए थी न ! अब हर विवाहिता अपने -अपने सत्यभान के लिए करवा चौथ करतीं हैं. चौथ का चन्द्रमा त्याज्य माना जाता है .मंदोदरी ने भी अपने पति से कहा था की वो सीता को चौथ के चन्द्रमा की तरह तज दें ,लेकिन रावण कहाँ माना ?विवाहिताएं भी कहाँ मानती हैं और चौथ का चन्द्रमा देखकर ही अपना व्रत खोलती हैं .विदेशों में पत्नियां पुराने जीर्ण-शीर्ण पतियों के साथ उम्र गुजारने के बजाय नए-नए मॉडल के पतियों के साथ रहना ज्यादा पसंद करतीं हैं .

कभी-कभी मेरे मन में भी ख्याल आता है कि इस व्रत की कथा लिखने वाला मिल जाये तो मै उसके साथ बैठकर सारे हिसाब बराबर कर लूँ ,लेकिन भगवान जैसे गंजों को नाखून नहीं देते वैसे ही मुझे इस व्रत के कहानी लेखक से भी नहीं मिलवाते .जानते हैं कि भारत के बहुसंख्यक पति बेचारे कथा लेखक की नाक में दम कर देंगे .इस मामले में उन पुरुषों से ईर्ष्या होती है जो या तो कुंवारे हैं या अटल बिहारी की तरह अर्द्ध ब्रम्हचारी हैं या विधुर हैं .इन सभी को कम से कम करवा चौथ के नाम पर लूटना तो नहीं पड़ता .सबसे ज्यादा सौभाग्यशाली तो संघ के प्रचारक हैं .उनके यहां पत्नी नाम की बांसुरी ही नहीं होती ,तो बजेगी कैसे ?

देशी पत्नियों का त्याग भरा व्रत देखकर वैसे मेरा मन भी यदा-कदा पसीजता है और मैं भी सोचता हूँ कि करवा चौथ के नाम पर लुटने में क्या हर्ज है ? हम और आप तो रोज ही लूट रहे हैं.कभी जीएसटी के नाम पर तो कभी महाकाल काल के नाम पर .भारत में सरकार के हाथों दिन -दहाड़े लुटना राष्ट्रीय कर्तव्य है .जो नहीं लुटता उसे पाकिस्तान या बांग्लादेश चले जाना चाहिए .देश के लिए लुटना तो क्या मर-मिटना होता है. जो ऐसा नहीं करते वे विजय माल्या,नीरव मोदी की तरह देश छोड़कर भाग जाते हैं .उन्हें कोई पकड़ भी नहीं सकता,क्योंकि वे सभी भगोड़े अपने साथ अपनी-अपनी पत्नियों को भी ले जाते हैं और वे तथा उनका करवा चौथ का व्रत ही सभी संकटों से बचा लेता है,लम्बी उम्र तो बोनस में मिलती ही है .
मुझे अगर नीति आयोग की भांति सिफारिश करने का अधिकार मिला होता तो तय मानिये कि मै माननीय प्रधानमंत्री जी के सामने करवा चौथ के व्रत को राष्ट्रीय त्यौहार घोषित करने का प्रस्ताव अवश्य रखता .उन्हें समझाता कि इस व्रत की वजह से देश की अर्थव्यवस्था कितनी व्यवस्थित हो जाती है ? प्रधानमंत्री जी भले ही अपनी जिम्मेदारी से भाग आये हों लेकिन वे जानते हैं कि उनकी लम्बी उम्र के लिए व्रत रखने वाला देश में कोई है .बहुत कम लोग हमारी तरह होते हैं जो लम्बी उम्र से घबड़ाते हैं अन्यथा बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो अपनी लम्बी उम्र के लिए दो,तीन क्या चार-चार बार भी विवाह रचा लेते हैं .विवाह रचाना वैसे भी रचनात्मक काम है ,ये काम कलेजे वाले लोग ही कर सकते हैं .

दरअसल करवा चौथ का व्रत नव विवाहित पतियों के लिए थोड़ा मंहगा पड़ता है लेकिन हम जैसे लोग जिनके पास पुराने मॉडल की पत्नियां हैं अब ज्यादा खर्च नहीं करतीं इस व्रत पर. वे बड़ी मुश्किल से इस व्रत का पालन कर रही होतीं हैं क्योंकि लोक-लाज का भी जो होता है .बहुत सी ऐसी पत्नियां हैं जो अपने पति को फूटी आँख भी नहीं देखना चाहतीं लेकिन करवा चौथ के दिन चलनी लगाकर देखतीं हैं वे पति दर्शन करतीं है या चन्द्रमा का दर्शन करती हैं ये शोध का विषय है . मुझे लगता है कि अधिकाँश पत्नियों के पति चौथ के चन्द्रमा की तरह आड़े-टेड़े और दूषित होते हैं इसीलिए इस दिन पूजे जाते हैं .अन्यथा भगवान शंकर ने भी अपने सर पर दूज का चन्द्रमा स्थापित किया चौथ का नहीं .बहरहाल देश की सभी पतिव्रता पत्नियों को करवा चौथ के व्रत की पेशगी शुभकामनाएं .वे दीर्घायु हों,सुदर्शन बनीं रहें .देश की अर्थव्यवस्था में सहयोग करती रहें .चौथ के चन्द्रमा का किस्सा नारद जी ने मुझे सुनाया था ,लेकिन वो फिर कभी .
@ राकेश अचल

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