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अंतत: राष्ट्रपिता मोहन भागवत@एक इमाम की दी गई भावनात्मक उपाधि पर बधाई तो बनती है, वरिष्ठ पत्रकार राकेश अचल की बेबाक कलम से

राकेश अचल, लेखक देश के जाने-माने पत्रकार और चिंतक हैं, कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में इनके आलेख प्रकाशित होते हैं।

जब मोहनदास करमचंद गांधी राष्ट्रपिता कहे जा सकते हैं तो मोहन भागवत को राष्ट्रपिता क्यों नहीं कहा जा सकता ? आखिर भाजपा को भी तो अपना राष्ट्रपिता चाहिए ? बेचारे संघ और भाजपा के असंख्य कार्यकर्ता कब तक कांग्रेस के राष्ट्रपिता को अपने कांधों पर ढोते फिरेंगे ? भला हो ऑल इंडिया मुस्लिम इमाम ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख इमाम उमर अहमद इलियासी का कि उन्होंने दरियादिली दिखते हुए संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत को राष्ट्रपिता की उपाधि दे ही दी .
कांग्रेस के मोहनदास को राष्ट्रपिता की उपाधि किसी विश्व विद्यालय ने थोड़े ही दी थी. नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने मोहनदास करमचंद गाँधी को महात्मा और राष्ट्रपिता कह दिया और पूरे देश ने मान भी लिया .इसी तरह डॉ मोहन भागवत को इलियासी जी ने राष्ट्रपिता कह दिया है अब और कोई माने या न माने लेकिन संघ और भाजपा के कार्यकर्ता तो उन्हें राष्ट्रपिता मान ही लेंगे. वैसे भी बेचारे जाने कब से गांधी को राष्ट्रपिता कहे जाने से क्षुब्ध थे. अब उन्हें अपना राष्ट्रपिता मिल गया है. बधाई .

डॉ मोहन भागवत और मोहनदास करमचंद गांधी की कोई तुलना न मै कर रहा हूँ और न कोई और कर सकता है .क्योंकि दोनों के बीच कोई समान्य है ही नहीं .हो भी नहीं सकता ,लेकिन मै डॉ भागवत,संघ और भाजपा के सपने की बात कर रहा हूँ . इन तीनों का सपना नए राष्ट्रपिता का है. ये तीनों खुली आँखों से ये सपना देख रहे हैं और आज से नहीं दशकों से देख रहे हैं ,लेकिन सपना है कि पूरा होने का नाम ही नहीं लेता .बहरहाल इलियासी अब भाजपा के नए सुभाषचंद्र बोस और डॉ मोहन भागवत नए राष्ट्रपिता बन गए हैं .
जहाँ तक मेरी अल्पबुद्धि कहती है उसके मुताबिक डॉ भागवत हिन्दुओं के बीच अपना दर्जा महात्मा या राष्ट्रपिता का नहीं बल्कि ईसाइयों के सबसे महान गुरु पोप जैसा चाहते हैं. यानि शंकराचार्य और महामंडलेश्वरों से भी ऊपर का दर्जा.डॉ भागवत चाहते हैं कि उनके पास भी एक ख़ास किस्म का चौंगा हो,लोग उनके भी हाथ चूमें और उनके कमंडल के पवित्र जल से अपने आपको पवित्र कर धन्य माने .उनका नागपुर भी वेटिकन सिटी जैसा पवित्र नगर बन जाये. उसकी अपनी तमाम व्यवस्थाएं हों .आदि..आदि.आखिर हिन्दुओं में भी तो कोई पोप होना चाहिए की नहीं ?

डॉ मोहन भागवत स्वभाव से महात्मा लगते हैं,हैं या नहीं ये वे जानें ,इसलिए उनकी मुस्लिम इमामों के नेता से मेल-जोल को संदेह की नजर से नहीं देखा जाना चाहिए .ऐसा दुर्लभ काम वे ही कर सकते हैं. जो लोग मुस्लिम टोपी नहीं पहन सकते,रोजा इफ्तार की दावतें नहीं दे सकते ,वे ये काम नहीं कर सकते,जो डॉ मोहन भागवत कर रहे हैं .डॉ भागवत के हाथों में एक ‘ सीरा पोता ‘ है .भाजपा मुसलमानों को जख्म देती है और डॉ भागवत पीछे से अपना सीरा पोता लेकर उन जख्मों को सहलाने पहुँच जाते हैं .ये संघ और भाजपा की अंदरूनी रणनीति है .इस पर बाहर वालों को चिंतन नहीं करना चाहिए .
भाजपा ने पिछले दिनों मुस्लिमों को लोकसभा ,राजयसभा से साफ़ किया ,विधानसभाओं में उनका प्रवेश रोका ,लेकिन कोई इमाम इलियासी नहीं बोला.कैसे बोल सकता है .उसने तो डॉ भागवत को अपना नया राष्ट्रपिता और राष्ट्रऋषि मान लिया है नहीं मांगेगा तो यहां रहेगा कैसे ? खैर बात नए राष्ट्रपिता की है. हमारी सरकार को चाहिए कि वो इलियासी द्वारा डॉ भगवत को दी गयी इस उपाधि को लेकर राजपत्र में भी सूचना छपवा दे .डॉ भागवत को राष्ट्रपिता कहने की दरियादिली दिखने के लिए इलियासी की प्रतिमा भी नेताजी की प्रतिमा की तरह किसी चौराहे पर खड़ी की जाये .आखिर उन्होंने वो ही काम तो किया है जो नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने किया था .

डॉ भागवत भी अकेले मोहन नहीं हैं. वे मोहन मधुकर भागवत हैं ,कांग्रेस के राष्ट्रपिता मोहन दास करमचंद गांधी थे .गांधी गुजराती थे,ये मराठी हैं. गांधी बैरिष्टर थे,भागवत ढोरों के डाक्टर हैं .गांधी ने देश को आजाद करने के लिए अपनी वैरिस्ट्री छोड़ी ,भागवत ने संघ के प्रचार के लिए अपनी ढोरों की डाक्टरी छोड़ी .यानि त्याग दोनों ने किया .गांधी ने गोली खाई ,भागवत इस तरह के खानपान से दूर हैं .’राम ‘ दोनों के आराध्य हैं .यानि दोनों में कम से कम ‘ राम ‘ तो कॉमन हैं .दोनों में एक ही बात कॉमन नहीं है की कांग्रेस ने अपने राष्ट्रपिता को न सीआईएसएफ की सुरक्षा दी थी और न जेड प्लस वीवीआईपी माना था. माना होता तो कोई गोडसे महात्मा गांधी की हत्या कैसे कर लेता ?

कुल मिलाकर बात ये है कि संघ ,भाजपा और मियां इलियासी के नए राष्ट्रपिता देश को जोड़ने के लिए एक मंच पर हैं. कांग्रेस वाले देश जोड़ने के लिए सड़कों पर हैं .भागवत के पास डॉक्टरेट की उपाधि भी मानद है.वे संघ कार्य में इतने व्यस्त रहे कि डाक्टर की उपाधि हासिल करने के लिए स्नातकोत्तर उपाधि हासिल करने का समय ही नहीं निकाल पाए थे,सो उन्हें एक विश्वविद्यालय ने डीएससी की मानद उपाधि देकर डाक्टर बना दिया .

संघ दीक्षित भाजपा की सरकारें भले ही मदरसों की आर्थिक मदद रोकतीं हों,उन्हें आतंकवादियों कि प्रशिक्षण का केंद्र मानती हों लेकिन इलियासी को इस सबसे कोई लेना देना नहीं है. वे भी डॉ भागवत की तरह मानते हैं कि हिंदुयों और मुसलमानों का डीएनए एक ही है .डॉ भागवत कि मुसिलम बुद्धिजीवी ठीक वैसे ही हैं जैसे भाजपा कि किसान नेता थे ,जो किसान आंदोलन के समय प्रधानमंत्री जी का समर्थन करने गुजरात में और दिल्ली में दिखाई दिए थे .देश को खुश होना चाहिए की देश तेजी से जुड़ रहा है .सड़कों पर कांग्रेस जोड़ रही है और बैठकों के जरिये डॉ भागवत ये पुण्य कार्य कर रहे हैं .
@ राकेश अचल

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