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शारदीय नवरात्रि का पर्व 26 सितंबर से, जानें कलश स्थापना एवं हवन आदि का शुभ मुहूर्त

आचार्य धीरज याज्ञिक

मां भगवती का पावन शारदीय नवरात्रि का पर्व 26 सितंबर 2022 दिन सोमवार से 04 अक्टूबर 2022 दिन मंगलवार तक है। आचार्य धीरज द्विवेदी “याज्ञिक” ने बताया कि इस बार मां भगवती हाथी पर सवार होकर सुख-समृद्धि लेकर आ रही हैं ऐसी मान्‍यता है कि यदि माता हाथी और नाव पर सवार होकर आती हैं तो यह साधक के लिए लाभकारी व कल्‍याण करने वाला होता है। नौ दिवसीय शारदीय नवरात्रि पर्व 26 सितंबर दिन सोमवार से 04 अक्टूबर दिन मंगलवार तक मनाया जाएगा। आचार्य जी ने बताया कि ज्योतिषी गणना के अनुसार इस बार मां दुर्गा जी शुक्ल योग में सुख-समृद्धि लेकर हाथी पर सवार होकर आएंगी।

इस बार शुक्ल योग में नवरात्र प्रारंभ हो रहा है जो अत्यंत ही उत्तम है।वहीं इस बार मां भगवती के मंदिरों में कोरोना पाबंदियों से मुक्त पर्व की तैयारी की जा रही है। इससे हवन-पूजा और अनुष्ठान के साथ-साथ बड़े स्तर पर गरबा उत्सव आदि भी खेला जाएगा तथा मां भगवती के मंदिरों में प्रतिदिन मां का नया नया श्रृंगार किया जाएगा।

ज्योतिषी गणना के अनुसार 26 सितंबर को प्रतिपदा तिथि रहेगी सोमवार को माता रानी का आगमन हो रहा है। यदि सोमवार को मां का आगमन होता है तो वो हाथी पर माना जाता है हाथी को सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि यदि माता हाथी और नाव पर सवार होकर आती है तो साधक के लिए लाभकारी व कल्‍याण करने वाला होता है। आचार्य धीरज द्विवेदी “याज्ञिक” के अनुसार यदि शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि शुरू हो तो देवी जी का आगमन घोड़े में माना जाता है और गुरुवार और शुक्रवार को नवरात्रि के आरंभ होने पर मां का आगमन डोली में होता है। जबकि बुधवार को आगमन नौका पर बताया गया है।

*कलश स्थापना एवं हवन आदि का मुहूर्त*

26 को रविवार की रात्रि – 03:28 मि. से ही प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ होकर पूरे दिन तथा 27 सोमवार की रात्रि – 03:26 मि. तक है ।शुक्ल योग दिन – 10:16 मि. तक फिर ब्रह्म योग लग रहा है दोनों योग सर्वोत्तम है। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र दिन – 07:07 मि. तक फिर हस्त नक्षत्र होने से और भी महत्व बढ़ गया।
कलश स्थापना के लिए पूरे दिन का समय शुभ एवं प्रशस्त है।
हवन का समय 04 अक्टूबर मंगलवार को दिन – 01:36 मि. तक है।
अष्टमी की महानिशा पूजा 02 अक्टूबर रविवार को।
महाष्टमी व्रत पूजन 03 अक्टूबर सोमवार को है‌ एवं सन्धि पूजा का समय दिन – 03:40 मि. से 04:28 मि. तक है।
सप्तमी तिथि में पूजा पंडालों में देवी प्रतिमाओं की स्थापना 02 अक्टूबर रविवार को ही होगी
04 अक्टूबर मंगलवार को ही मध्याह्न में दशमी तिथि मिलने से विजय दशमी पर्व का मान होगा।

देश के समस्त मां भगवती के मंदिरों में नवरात्रि की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस अवसर पर सभी शक्ति पीठों के साथ मां विंध्यवासिनी, मां अष्टभुजा देवी,मां अलोपशंकरी,ललिता देवी आदि मंदिरों के साथ ही समस्त स्थानीय देवालयों में भी यज्ञ-हवन और अनुष्ठान होंगे‌ एवं इस दौरान मां का प्रतिदिन नया नया श्रृंगार और विधिवत पूजन किया जायेगा। तथा समस्त भक्त जन भी अपने अपने घर में बहुत ही उत्साह से कलश स्थापना और पूजा पाठ करेंगे।

आचार्य धीरज द्विवेदी “याज्ञिक”
(ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र एवं वैदिक अनुष्ठानों के विशेषज्ञ)
प्रयागराज।
संपर्क सूत्र-09956629515
08318757871

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