देहरादून। प्रदेश भाजपा सरकार शहीदों के परिजनों के प्रति कितनी संवेदनशील है? 5 महीने बीतने को है पर शहीदों के परिजनों की आर्थिक सहायता के लिए वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा इकठ्ठा किये गए लाखों रुपये आज भी बैंक में जमा हैं। शहीदों के परिजनों तक यह आर्थिक सहायता पहुंचाने की जहमत सरकार नहीं उठा पा रही। पूर्व मुख्यमंत्रियों के किराए के बकाया को माफ करने से अदालत के इंकार के बाद आनन फानन में प्रदेश सरकार अध्यादेश ले आती है। देश के नाम पर शहीद होना उत्तराखंड सरकार के लिए सिर्फ इतने तक महत्वपूर्ण है कि उनका नाम लेकर देशभक्ति की डींग हांकते रहे और जनता को बरगला सके।
बता दें कि पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुये जवानों की आर्थिक सहायता के लिए प्रदेश के वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने 56 लाख 66 हजार की धनराशि मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करा दी थी। शहीदों के नाम पर तमाम योजनाओं और दावों की सरकार की पोल तब खुल गयी जब एक पत्रकार ओमप्रकाश सती ने सूचना के आधार पर इस रकम के बारे में जानकारी मांगी। तब यह सनसनीखेज खुलासा हुआ कि आज तक न तो किसी शहीद के परिजन को इस राशि से आर्थिक सहायता दी गई और न किसी घायल जवान को।सूचना के अधिकार के अंतर्गत मुख्यमंत्री कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी डीके लोहनी ने पत्रकार ओमप्रकाश सती को बताया कि 10 अप्रैल को यह रकम मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा की गई थी और तब से मुख्यमंत्री राहत कोष के इलाहाबाद बैंक गांधी रोड के खाता संख्या 50482918950 मे ही पड़ी हुई है। आज तक भी यह रकम शहीदों के परिवारों अथवा किसी भी घायल को नहीं दी गई।
बताते चलें कि यह रकम सैनिक अर्धसैनिक कल्याण अर्थ राहत कोष के जरिए पुलवामा शहीदों और घायलों के लिए जमा कराई गई थी