दूरदर्शन उत्तराखंड 12 अगस्त को अपना स्थापना दिवस मनाने जा रहा है। राज्य के बहुत कम लोग इस बात से वाकिफ होंगे। ऐसे में स्थापना दिवस पर होने वाले कार्यक्रमों तक कितने दर्शकों की पहुंच हो पायेगी। यह एक गंभीर प्रश्न है। 2001 में राज्य की राजधानी में स्थित यह केन्द्र 18 सालों में पूरे राज्य में अपनी पैठ नहीं बना पाया। इसका एक मुख्य कारण जहाँ संसाधनों की कमी रही वहीं इसके व्यस्थापकों का रवैया भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। केन्द्र व्यस्थापकों की मात्र नौकरी पूरी करने की परंपरा निभाई गई है।
हालांकि पिछले एक दो सालों में दूरदर्शन उत्तराखंड ने अपना दायरा बढ़ाया है और राज्य के सुदूर क्षेत्रों में पहुंच बनाने का प्रयास कर रहा है। 2001 में तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री सुषमा स्वराज ने प्रथम मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी के कार्यकाल में इसका शुभारम्भ किया था। तब यह केन्द्र रायपुर के ब्लाक आफिस के एक कमरे में से चलता रहा। अपनी बिल्डिंग तक पहुंचने के लिए दूरदर्शन उत्तराखंड को 15 वर्ष लगे। 2017 में उत्तराखंड दूरदर्शन की अपनी इमारत तैयार हुई। लेकिन अभी भी संसाधन व मैनपावर की कमी बनी हुई है। अब यह केन्द्र सैटेलाइट के माध्यम से अपने कार्यक्रमों का प्रसारण करने लगा है। इधर नये केन्द्र प्रभारी के आने के बाद यहाँ की स्थिति में सुधार की उम्मीद जगी है। जहाँ पहले दिन में एक से दो घंटे तक ही दूरदर्शन उत्तराखंड से कार्यक्रम प्रसारित हो पाते थे। अब यह शेड्यूल छह घंटे (दोपहर 1 से 7 बजे तक) कर दिया गया है।
सूत्र बताते हैं कि जल्द ही 24 घंटे प्रसारण की योजना है। लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि सीमित संसाधनों और मैनपावर के चलते यह फिलहाल संभव नहीं है। आज जहाँ तमाम क्षेत्रीय निजी और सरकारी चैनल प्राइवेट प्रसारण प्लेटफार्म पर उपलब्ध हैं वहाँ दूरदर्शन एकमात्र डिश टीवी के अलावा सरकारी डीटीएच पर ही उपलब्ध है। इस वजह से दूरदर्शन उत्तराखंड को दर्शकों का टोटा है। बताते चलें कि इन वर्षों के दौरान दूरदर्शन उत्तराखंड ने कई अच्छे और उपयोगी कार्यक्रम राज्य हित में प्रसारित किए हैं। लेकिन रोना वही कि कुछ ही लोगों की नजर में आ पाते हैं ये कार्यक्रम।
दूरदर्शन उत्तराखंड की इन कमियों के चलते राज्य की तमाम प्रतिभाओं को उभरने का अवसर नहीं मिल पाता है। हालांकि राज्य के नामचीन कलाकारों को लेकर कार्यक्रम जरूर बने हुए हैं। लेकिन सीमित प्रसारण अवधि व सीमित क्षेत्र में पहुंच के चलते दर्शक कार्यक्रम से रुबरु नहीं हो पाते। देखना होगा कि अपने 12 अगस्त के स्थापना दिवस पर दूरदर्शन उत्तराखंड क्या कोई ऐसा नया करने जा रहा है जिससे दर्शक संख्या में बढ़ोतरी हो और लोग अपने राज्य के क्षेत्रीय चैनल के प्रति उत्सुक हो सकें।