नई दिल्ली। देश में आटोमोबाइल सेक्टर भारी मंदी की ओर चला गया है। जिसके चलते देश की कई वाहन निर्माता कंपनियों में एक के बाद एक नौकरियां समाप्त हो गई है। अभी तक साढ़े तीन लाख नौकरियां खत्म हुई है। और अगर यही हाल रहा तो इससे भी ज्यादा आटोमोबाइल सेक्टर में रोजगार पूरी तरह खत्म होने की आशंका बनी हुई है। कार और मोटरसाइकिल निर्माण कर रही कंपनियों ने पन्द्रह हजार लोगों की छंटनी कर दी है जबकि स्पेयर पार्ट्स बनाने वाली तमाम कंपनियों में एक लाख वर्करों को काम से निकाला है। इसके परिणामस्वरूप डीलर स्तर पर भी नौकरियां समाप्त हुई हैं। कई कंपनियां अपने कारखानों को बंद करने के लिए मजबूर हैं। ऑटोमोटिव कॉम्पोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया व्यापार मंडल के महानिदेशक, विन्नी मेहता ने कहा है कि ऑटो सेक्टर मंदी के दौर से गुजर रहा है। आटोमोबाइल कंपनियां मांग घटने से चिंतित हैं।देशी ही नहीं विदेशी कंपनियां जो भारत में आटोमोबाइल क्षेत्र में कार्यरत हैं उन्होंने भी तमाम कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी है। जानकारी मिल रही है कि जापानी मोटरसाइकिल निर्माता यामाहा मोटर और फ्रांस के वैलेओ और सुब्रोस सहित ऑटो कॉम्पोनेंट्स के निर्माताओं ने लगभग 1,700 अस्थायी श्रमिकों को निकाला है।जापान के डेंसो कॉर्प और सुज़ुकी मोटर कॉर्प की हिस्सेदारी वाली सुब्रोस ने 800 कर्मचारियों को निकाला है।
घरेलू पार्ट्स निर्माता कंपनी वी गी जी कौशिको ने 500 लोगों को नौकरी से हटाया है, जबकि यामाहा और वैलेओ ने पिछले महीने 200 लोगों की छंटनी की है।छंटनी का यह सिलसिला अभी जारी है। एक और भारतीय कंपनी ऑटोमोटिव सप्लायर व्हील्स इंडिया अपने अस्थायी कर्मचारियों की संख्या में 800 की कटौती करने की तैयारियां शुरु कर दी हैं।
देश की ख्यातिप्राप्त आटो कंपनी बजाज ऑटो की कुल बिक्री जुलाई महीने में पांच प्रतिशत गिरकर 3,81,530 वाहनों पर आ गयी। कंपनी ने एक बयान जारी कर बाकायदा इसकी जानकारी दी है। तुलनात्मक रूप से देखें तो पिछले साल जुलाई में बजाज ने जहां 4,00,343 वाहनों की बिक्री की थी।वहीं इस दौरान उसकी घरेलू बिक्री पिछले साल के 2,37,511 वाहनों की तुलना में 13 प्रतिशत गिरकर 2,05,470 वाहनों पर आ गयी।
मारुति सुजुकी ने पिछले छह महीनों में अपने अस्थायी कर्मचारियों की संख्या में 6 प्रतिशत की कटौती की है। टाटा मोटर्स ने पिछले दो हफ्तों में अपने चार संयंत्रों को बंद कर दिया है।जबकि महिंद्रा ने कहा है कि अप्रैल और जून के बीच उसके विभिन्न संयंत्रों में करीब 5 से 13 दिनों तक कोई प्रॉडक्शन ही नहीं हुआ। सूत्रों ने बताया कि होंडा ने 16 जुलाई से राजस्थान में अपने प्लांट में कुछ कार मॉडल का प्रॉडक्शन बंद कर दिया है और 26 जुलाई से 15 दिनों के लिए ग्रेटर नोएडा में अपने दूसरे संयंत्र में पूरी तरह से मैन्युफैक्चरिंग को रोक दिया है।
बता दें देश की जीडीपी में 7 फीसदी से अधिक का योगदान देने वाले ऑटो सेक्टर को इन दिनों अपनी सबसे खराब परिस्थितियों में से एक का सामना करना पड़ रहा है।अनुमान है कि ऑटो सेक्टर में गिरावट से मंदी की मार बढ़ सकती है।दरअसल यह सेक्टर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 3.5 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देता है, जो मैन्युफैक्चरिंग प्रॉडक्शन सेक्टर में मिलने वाली नौकरियों का लगभग आधा हिस्सा है। एक निजी डेटा समूह सीएमआईई के अनुसार जुलाई 2019 में बेरोजगारी की दर बढ़कर 5.66 से बढ़कर 7.51 प्रतिशत हो गई। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के लिए ऑटो सेक्टर में मंदी सबसे ज्यादा बड़ी चुनौती साबित होती नजर आ रही है।