@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (22 मई, 2022)
आज द ग्रेट गामा या गामा पहलवान की 144वीं जयंती है। भारत में यूं तो बड़े-बड़े पहलवान हुए, लेकिन जो मुकाम और रुतबा 5 फीट 8 इंच कद वाले गामा पहलवान का था, वैसा कम ही रेसलर को नसीब हुआ। छह साल की उम्र में पिता को खोने वाले गामा ने अपने नाना और मामा से कुश्ती के दांवपेंच सीखे और दुनिया के दिग्गज पहलवानों को मिनटों में धूल चटाई। आज भी जब भी ताकत की बात होती है तो मिसाल उनके नाम की ही दी जाती है।
कुश्ती की दुनिया में गामा पहलवान का कद कितना बड़ा था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जन्मदिन के मौके पर गूगल ने भी डूडल बनाकर उन्हें सम्मान दिया है। आज ही के दिन यानी 22 मई, 1878 को अमृतसर के जब्बोवाल गांव में द ग्रेट गामा या गामा पहलवान का जन्म हुआ था। वो एक कश्मीरी मुस्लिम परिवार से आते थे और उनके पिता मुहम्मद अजीज बक्श दतिया के तत्कालीन महाराजा भवानी सिंह के दरबार में कुश्ती लड़ा करते थे।
जब गामा पहलवान छह साल के थे, तो पिता का इंतकाल हो गया था। लेकिन तब तक उनके पहलवान बनने की शुरुआत हो चुकी थी। पिता के जाने के बाद गामा पहलवान के नाना नून पहलवान ने उन्हें और उनके भाई को कुश्ती के दांव-पेंच सिखाने की जिम्मेदारी उठाई। इसके बाद मामा ईदा पहलवान ने भी गामा और उनके भाई को तराशा।
गामा पहलवान पहली बार दुनिया की नजर में आए, तब उनकी उम्र केवल 10 बरस थी। यह साल था 1888 का। तब जोधपुर में सबसे ताकतवर शख्स की खोज के लिए एक प्रतियोगिता हुई थी। इसमें 400 से अधिक पहलवानों ने हिस्सा लिया था और गामा अंतिम 15 में शामिल थे।
जोधपुर के महाराज इतनी कम उम्र में गामा की ताकत देखकर हैरान रह गए थे। इसी वजह से उन्होंने गामा को विजेता घोषित कर दिया था। इसके बाद पिता की तरह गामा भी दतिया महाराज के दरबार में पहलवानी करने लगे।
कम उम्र में ही गामा का नाम हर जगह गूंजने लगा। वो रोज दस घंटे से ज्यादा प्रैक्टिस करते थे और दमखम बढ़ाने के लिए अखाड़े में एक दिन में 40 पहलवानों से कुश्ती लड़ते थे।
आपको जानकार हैरानी होगी कि वो हर दिन पांच हजार बैठक और तीन हजार दंड किया करते थे। कभी-कभी 30 से 45 मिनट तक एक डोनट के आकार का उपकरण पहनकर, वो ट्रेनिंग करते थे, जिसका वजन 100 किलो था। यही नहीं, वो रोज 6 देसी चिकन, 10 लीटर दूध, आधा लीटर घी, डेढ़ लीटर मक्खन, बादाम का शरबत और 100 रोटी खाया करते थे।
गामा पहलवान अपने पांच दशक लंबे पहलवानी के करियर में अपराजित रहे। दस साल की उम्र से उन्होंने अखाड़े में दांव-पेंच आजमाने शुरू किए और इसके बाद जिसके खिलाफ भी कुश्ती लड़ी, जीत ही हासिल की।
उन्होंने सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में लोगों को प्रेरित किया। इसमें ब्रूस ली जैसे दिग्गज शामिल हैं। 1910 में वो लंदन गए थे। तब गामा ने खुली चुनौती दी थी कि वो किसी भी वेट कैटेगरी के तीन पहलवानों को महज 30 मिनट में धूल चटा देंगे। हालांकि, उनकी इस चुनौती को बाकी पहलवानों ने हल्के में लिया। काफी समय तक किसी ने गामा पहलवान की चुनौती स्वीकार नहीं की।