@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (21 मई, 2022)
कांग्रेस की एक ‘भूल’ उसे पंजाब में बहुत भारी पड़ गईंं। कांग्रेस हाईकमान की इस ‘भूल’ ने पंजाब में पार्टी की जड़े हिलाकर रख दी है। कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू के फेर में कैप्टन अमरिंदर सिंह व सुनील जाखड़ जैसे नेताओं को गंवा दिया और अब सिद्धू भी जेल चले गए हैं।
पार्टी आलाकमान के सिद्धू पर अति विश्वास के कारण कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुनील जाखड़ जैसे नेताओं को खो दिया तो अब नवजोत सिंह सिद्धू भी उसके लिए ‘बोझ’ बन गए हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सिद्धू को एक साल की सजा सुनाए जाने के बाद पार्टी के अंदर की राजनीति के रहस्य बाहर आने लगे हैं।
कांग्रेस के पतन की नींव 2020 में प्रदेश प्रभारी हरीश रावत की एंट्री के साथ ही रख दी गई थी। प्रदेश प्रभारी बनने के साथ ही हरीश रावत ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार को अस्थिर करना शुरू कर दिया था। यह वह समय था जब नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कांग्रेस के राजनीतिक हाशिये पर चल रहे थे।
पार्टी हाईकमान सिद्धू को अगली पंक्ति में लाने को इच्छुक था, जबकि तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह इसके लिए तैयार नहीं थे। कैप्टन लगातार पार्टी हाईकमान को यह संदेश दे रहे थे कि सिद्धू के आगे आने से पार्टी को नुकसान होगा। हरीश रावत ने पंजाब का प्रभारी बनने के साथ ही न केवल सिद्धू के साथ डिनर किया बल्कि दो दिन बाद ही बर्थडे केक भी खाया।
मामला यहीं पर नहीं रुका। नए मुख्यमंत्री पद की तलाश में जब सुनील जाखड़ सबसे प्रबल दावेदार के रूप में सामने आए तो पार्टी ने दो जट सिखों नवजोत सिंह सिद्धू और सुखजिंदर सिंह रंधावा की ‘मैं-मै’ में खुद को उलझाया और जट सिख व हिंदू के मुद्दे से निकल पर चरणजीत सिंह चन्नी पर दांव खेला। 2022 के चुनाव के मसले न तो चन्नी हल कर पाए और न ही सिद्धू की ईमानदार छवि और न ही पंजाब माडल चला। कांग्रेस 77 से महज 18 सीटों पर सिमट कर रह गई।
कांग्रेस न सिर्फ विधानसभा चुनाव हारी बल्कि उसके कई वरिष्ठ नेताओं ने भी पार्टी को गुड बाय कर दिया। पार्टी में उठापटक के कारण पूर्व मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी और फतेहजंग बाजवा ने कांग्रेस को अलविदा कहा तो अब सुनील जाखड़ ने भी कांग्रेस को छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है। इस तरह सिद्धू की महत्वाकांक्षाओं को हवा देकर कांग्रेस ने न सिर्फ पंजाब में सत्ता गंवाई बल्कि अपने वरिष्ठ साथियों को भी गंवा दिया।