Breaking News

एक्सक्लूसिव:कुमांऊ मंडल में मिलावटखोरी चरम पर, नागरिकों का स्वास्थ्य खतरे में, अधिकारी त्यौहारी सीजन में ही होते हैं सक्रिय

 विनोद भगत 

 काशीपुर ।पूरे कुमांऊ मंडल में मिलावटखोरी का धंधा चरम पर है। अधिकारियों की अगर बात करें तो त्यौहारी सीजन के अलावा शेष दिनों में उन्होंने मिलावटखोरों को खुली छूट दे रखी है। हां कभी कोई ब्रांडेड कंपनी अपने उत्पादों की डुप्लीकेसी की शिकायत करती है तो ये अधिकारी जाग जाते हैं। वर्ना इन्हें नागरिकों के स्वास्थ्य से कोई मतलब नहीं है। इस रिपोर्ट में आगे आप जानेंगे कि मिलावटखोरी के चलते नागरिकों के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है। कहने को यह सामान्य बात लगती है लेकिन परिणाम भयावह है।

सबसे ज्यादा मिलावट खाने के तेल में हो रही है। एक आंकड़े के मुताबिक बाजार में बिकने वाला 98 प्रतिशत खाने के तेल में मिलावट है। इसमें राइस ब्रान मिलाकर चमकदार रैपर और पैकेट में रखकर उपभोक्ताओं को बेचा जा रहा है। इसमें मिलावटखोर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं।      जायकेदार सरसों तेल में राइस ब्रान तेल की मिलावट कर लाखों रुपये का सीधा मुनाफा कारोबारी करते हैं। कुमाऊं के तमाम शहरों में  कारखानों में घटिया तेलों को तैयार कर उनकी पैकिंग की जाती है। राइस ब्रांन तेल में पीला रंग डालकर इसे सरसों के तेल जैसा तैयार किया जाता है फिर सरसों वाली खुशबू (झांस) के लिए एसेंस डाल दिया जाता है। हानिकारक एसेंस लीवर और किडनी के लिए घातक है।

रिफाइन में पामोलिन आयल मिलाकर ब्रांडेड कंपनी के नाम से बाजार में बिक रहा है। आप आश्चर्य में पड़ जायेंगे कि 15 लीटर के जार में तो लेबल मात्र ही बदलना होता है और वही पामोलिन आयल रिफाइन के नाम से मंहगा बेच दिया जाता है। और ये नागरिकों के दिल के लिए खतरनाक है। 

नामी कंपनी का लेबल लगाकर उपभोक्ताओं के भरोसे का खून किया जा रहा है। लेकिन अधिकारी भी इस मामले में में दोषी हैं। वह अव्वल तो जांच करते ही नहीं और अगर करते भी हैं तो महज खानापूर्ति कर देते हैं। इससे अधिकारी को लाभ हो रहा या नहीं ये अलग बात है। लेकिन सरकार को लाखों के राजस्व की क्षति हो रही है।

आपको एक चौंकाने वाली जानकारी से अवगत कराते हैं।कुछ समय पहले खाद्य पदार्थों की जांच करने वाली संस्था स्पेक्स ने नमूने इकट्ठा कर जांच की थी तो मिलावटखोरी की एक भयावह तस्वीर सामने आयी थी। बाजार में बिकने वाले 98 प्रतिशत सरसों के तेल में मिलावट पायी गयी थी। ये नमूने कुमांऊ के 43 शहरों से लिये गये थे जिसमें काशीपुर भी शामिल था।  जिन शहरों से ये नमूने लिए गये थे उनमें  हल्द्वानी, काठगोदाम, नैनीताल, भवाली, गरमपानी, खैरना, रानीखेत, मझखाली, कोसी, अल्मोड़ा, बाड़ेछीना, पनवानौला, दनिया, गंगोलीहाट, बेरीनाग, उडयारी बैन्ड, धरमघर, बागेश्वर, थल, डीडीहाट, कन्यालीछीना, पिथौरागढ़, लोहाघाट, चम्पावत, चल्थी, सूखीढांग, टनकपुर, बनबसा, खटीमा, रुद्रपुर और काशीपुर आदि थे। जिन वस्तुओं के नमूने लिए गये उनमें वह सब रोजमर्रा के वह सामान थे जिनका हर कोई उपयोग करता है। जैसे  हल्दी, लाल मिर्च, गुड़, बेसन, धनिया, लौंग, काली मिर्च, जीरा, सरसों का तेल, टमाटो सॉस, ग्रीन चिली सॉस, सिरका, रिफाइन्ड ऑयल, दूध, खोया, मिठाई, दही, चाय और काफी के 1432 सैंपुल में से 1083, यानी लगभग 75 प्रतिशत अशुद्ध थे। सरसों के तेल में 98 प्रतिशत मिलावट थी तो सिरका शत प्रतिशत नकली था।

 भारत सरकार के प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आधीन सोसाइटी आफ पॉल्यूशन एंड एन्वायरन्मेंट कंजर्वेशन साइंटिस्ट (स्पेक्स) ने इन नमूनों का परीक्षण करने पर पाया कि हल्दी में मेटेनिल पीला, लैड व स्टार्च; लाल मिर्च में रोहड़ामिन-बी,गेरू; धनिया में मिट्टी व लकड़ी का बुरादा, लीद; काली मिर्च व लौंग में तेल निचुड़ा हुआ; गरम मसाला में मिट्टी व लीद; दूध में कास्टर तेल, सोड़ा, स्किम्ड दूध ,चीनी, बोरिक एसिड, बटर आयल; पनीर में स्किम्ड दूध, बटर आयल, रिफाइन्ड तेल; मिठाई में रंग (मेटेनिल पीला, लैड क्रोमेट, मैलेचाइट), स्किम्ड दूध, बटर आयल, रिफाइन्ड तेल व घटिया तेल; घी में बटर आयल, डालडा; सरसों के तेल में मोबिल आयल, कास्टर आयल, मैटेनिल पीला; रिफाइन्ड तेल में मोबिल आयल, मैटेनिल पीला; चाय में रंग क्रोमियम डाई व पुरानी चाय; काफी में इमली के बीज; इलाइची दाना में रानीपाल व टीनोपाल; शहद में घटिया चीनी; रोली (पिठ्याँ) में मैटेलिक रंग; विभिन्न सॉस में रंग, कद्दू, मैलेचाइट ग्रीन आदि तथा सिरका में एसिटिक एसिड की मिलावट पाई गई।

विशेषज्ञ बताते हैं कि  इन मिलावटी तत्वों से जोड़ों का दर्द, हैजा, पेट का दर्द, लीवर, अलसर, उलटी, कैंसर, ड्रापसी, पेट की गैस, सूजन, ग्लूकोना, श्वास रोग, पेचिश, लकवा, न्यूरोटाक्सिक, एलर्जी, बाल झड़ना, बाल सफेद होना तथा त्वचा रोग होने की सम्भावना होती है। अपने लाभ के लिए खाद्य पदार्थों में मिलावट कर मिलावटखोर गंभीर अपराध तो कर ही रहे हैं साथ में उत्तराखंड की छवि को भी धूमिल कर रहे हैं। 

अफसोस की बात तो यह है कि खाद्य एवं आयुष विभाग द्वारा दुकानों की जांच  में कोताही बरती जा रही है जिसका खामियाजा नागरिकों के स्वास्थ्य और सरकार के राजस्व को भुगतना पड़ रहा है। जांच अगर हो भी रही है तो महज खानापूर्ति की जाती है।हालांकि मिलावटखोरी पर कानून बड़े सख्त हैं लेकिन महज कहने के लिए।ऐसे में मिलावटखोर निश्चिंत होकर अपना काम कर रहे हैं।

विज्ञापन
Website Design By Mytesta +91 8809666000

Check Also

बड़ी खबर: उत्तर प्रदेश में सात पुलिसकर्मियों को निर्वाचन आयोग ने निर्देशों की अवहेलना करने पर निलंबित किया, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की शिकायत पर हुई कार्रवाई

🔊 Listen to this @शब्द दूत ब्यूरो (20 नवंबर) लखनऊ। समाजवादी पार्टी की शिकायत पर …

googlesyndication.com/ I).push({ google_ad_client: "pub-