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कांग्रेस: पार्टी से नेताओं का पलायन रोकने की चुनौती

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (19 अप्रैल, 2022)

पिछले पांच साल में सबसे ज्‍यादा नेता अगर किसी पार्टी ने खोए हैं तो वह है कांग्रेस। पार्टी ने एक-एक करके कई युवा और वरिष्‍ठ चेहरों को खोया। राहुल गांधी की कोर टीम भी बिखर चुकी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह कुछ ऐसे ही नाम हैं जिन्‍होंने बीजेपी का दामन थाम लिया।

पिछले कुछ सालों में कांग्रेस छोड़ने वाले प्रमुख नेताओं में अमरिंदर सिंह, जितिन प्रसाद, लुईजिन्हो फलेरो, सुष्मिता देव, नारायण राणे, ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया, हिमंता बिस्‍व सरमा, अजय माकन, शत्रुघन सिन्हा, एन बीरेन सिंह, पेमा खांडू, पीसी चाको, रवि नाइक, शंकर सिंह वाघेला, रीता बहुगुणा जोशी, टॉम वडक्‍कन, जयंती नटराजन, आरपीएन सिंह, अदिति सिंह, इमरान मसूद के नाम हैं।

कांग्रेस देश के राजनीतिक नक्‍शे में लगातार सिकुड़ती गई है। हालांकि अब भी देशभर में उसके 700 से ज्‍यादा विधायक हैं। पिछले महीने संपन्‍न हुए विधानसभा चुनावों के बाद बीजेपी के पास 1,314 सीटें हैं जबकि 750 सीटों पर कांग्रेस का कब्‍जा है। लेफ्ट के पास 122 सीटें बचीं जबकि बसपा केवल 16 सीटों पर सिमट गई। क्षेत्रीय दलों के आंकड़े बेहतर हुए हैं। अन्‍य दलों की 1,823 सीटों में से 100 से ज्‍यादा सीटों वाली पार्टियों में तृणमूल कांग्रेस, आप, वाईएसआर, डीएमके, सपा और बीजद शामिल हैं।

कांग्रेस को विरोधियों के सामने कड़ी चुनौती पेश करने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। फिलहाल कांग्रेस ऐसी स्थिति में नहीं दिखती कि वह बीजेपी को आम चुनाव में हरा दे। कई राजनीतिक विश्‍लेषकों के अनुसार, कांग्रेस का एकजुट रहना ही उसके लिए बड़ी चुनौती है।

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