चिकित्सक पर धारा 302 की रिपोर्ट दर्ज करनें वाले पुलिस अधिकारी पर कार्यवाही क्यों नहीं की गई
@शिवकुमार शर्मा
कोटा (2 अप्रैल 2022) । भाजपा के वरिष्ठनेता एवं राजस्थान में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड ने कोटा सर्किट हाउस में पत्रकार वार्ता द्वारा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत पर राजनैतिक भेदभाव के आधार पर पुलिस कार्यवाही करनें का आरोप लगाते हुये कहा है कि “ भाजपा के कार्यकर्ताओं की बिना पूर्ण अनुसंधान किये ही गिरफतार किया जा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस से जुडे लोगों को प्रमाणित अपराधों एवं साक्ष्यों के बावजूद बचाया जा रहा है और गिरफतार नहीं किया जा रहा है।“ उन्होने कई उदाहरण देते हुये कहा है कि “राजस्थान में आराजकता का माहौल चरम पर है, कानून व्यवस्था का इकबाल खत्म हो चुका है। मुख्यमंत्री गहलोत सबसे विफल गृहमंत्री साबित हो रहे है। वे न खुद गृहमंत्रालय संभाल पा रहे हैं न ही गृह मंत्री बना पा रहे है। उन्होनें आरोप लगाया कि उनके खास विधायक मिनी मुख्यमंत्री बन कर जन अत्याचार कर रहे है, जिन पर कार्यवाही तक नहीं की जारही है।
राठौड़ ने कहा है कि राजस्थान में इण्डिन पेनल कोड (भारतीय दण्ड संहिता) न होकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अलग से पेनल कोड (दण्ड संहिता) बनाया है जिसका नाम गहलोत पैनल कोड है। इसके द्वारा राजनैतिक भेदभाव की कार्यवाहियां हो रहीं हैं,भाजपा कार्यकर्ताओं को प्रताणित किया जा रहा हैं।
राठौड़ ने कहा कि दौसा में आत्म हत्या करनें वाली गोल्ड मेडिलिस्ट चिकित्सक पर उसी दिन धारा 302 में मुकदमा दर्ज करनें वाले पुलिस अधिकारी अपराधी हैं,क्यों कि सर्वाेच्च न्यायालय के निर्णय एवं भाजपा सरकार के समय बनाये गये संरक्षण एक्ट बनाया था, को दरकिनार कर के गलत तरीके से धारा 302 लगाई गई थी, जिसके लिये पुलिस एवं राजस्थान सरकार जिम्मेवार है, उन पर कार्यवाही होनी चाहिये।
राठौड ने कहा है कि हम इस बात के पक्षधर है कि राजकीय कर्मचारियों को निर्बाध रूप से अपना कर्तव्य पूरा करने का अवसर मिलना चाहिए,हम किसी हमले के पक्षधर नहीं हैं। पर एक तरफ जांच पूर्ण होने से पहले ही गिरफतारी हो जाती है,सवाल इस बात का है। सवाल जितेन्द्र गोठवाल या भवानी सिंह राजावत का नहीं है, सवाल भेदभावपूर्ण एवं राजनैतिक द्वेष्ता पूर्ण कार्यवाही का है। कांग्रेस से जुडे लोगों पर भी संगीन आरोप सबूतों सहित हैं। उन पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। जबकि भाजपा से जुडे लोगों को अनुसंधान प्रारम्भ होनें से पहले ही गिरफतार कर लिया जाता है। हम इस भेदभाव की निंदा करते हैं। यही गहलोत दण्ड संहिता है, जिससे राजनीतिक भेदभाव किया जा रहा है, प्रताडित किया जा रहा है।
उन्होने कहा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट सत्र में कोविड के दौरान जान पर खेल कर जिन 27 हजार स्वास्थय सेवायें देनें वाले संविदा कर्मियों को मेडिकल हेल्थ वालीएंटर के रूप में स्थाई करनें की बात कही थी,मगर उन्हे 31 मार्च से उन्हे हटा दिया गया। जो कि मुख्यमंत्री की कथनी और करनी में अन्तर उजागर करती है। यह मुख्यमंत्री की वायदा खिलाफी है। सरकार की विफलता से इस सरकार का डूबना तय है।
इस दौरान भाजपा के जिला अध्यक्ष कृष्णकुमार सोनी, प्रदेश सहसंयोजक भाजपा मीडिया सम्पर्क विभाग अरविन्द सिसौदिया, जिला महामंत्री चन्द्रशेखर नरवाल, जिला उपाध्यक्ष लक्ष्मणसिंह खीची, मण्डल अध्यक्ष दिनेश शर्मा, अनिल तिवारी एवं सुरेन्द्र शर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।