वेद भदोला की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
नई दिल्ली। शीर्षक देखकर आप चौंक गए होंगे। लेकिन ऐसा हुआ है और ये संभव हो पाया है केन्द्र सरकार की महत्वपूर्ण स्वास्थ्य योजना आयुष्मान में। नेशनल हैल्थ अथॉरिटी की एंटी फ्राड यूनिट की पकड़ में आये फर्जीवाड़े में यह खुलासा हुआ है।
आयुष्मान योजना को लागू हुये अभी साल भर भी नहीं हुआ है। इस दौरान 250 अस्पतालों को इस योजना के पैनल से बाहर करना पड़ा है। यही नहीं 993 ऐसे केन्द्रों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करायी गयी है जो आयुष्मान के तहत फर्जी हेल्थ कार्ड बनाते पकड़े गये।
आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़े इस कदर बढ़ रहे हैं कि सरकार की यह योजना आम जनता के लिए कम धोखाधड़ी करने वालों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है।फर्जीवाड़ा खुलने पर संबंधित अस्पताल के विरूद्ध कार्रवाई के नाम पर उनका निलंबन कर दिया जा रहा है। जबकि जो अस्पताल सरकारी योजना में फर्जीवाड़ा कर रहे हैं वह मरीजों के साथ कितना फर्जीवाड़ा करते होंगे। इस तथ्य को नजर अंदाज कर दिया गया है। अभी तक जो भी अस्पताल या उनके संचालक इस मामले में प्रकाश में आये हैं। उनके अस्पताल अभी भी चल रहे हैं। मतलब सरकार को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह आमजन के साथ धोखाधड़ी करें या न करें।
चौंकाने वाली बात तो यह है कि आयुष्मान योजना में ऐसे केस भी सामने आये हैं जिनमें एक डाक्टर एक ही दिन में एक साथ चार जिलों में आपरेशन कर देता है। छोटे मोटे आपरेशन को भी मंहगा दिखाकर भुगतान या तो ले लिया गया या प्रयास किया गया। आश्चर्य की बात तो यह है कि मरीज पुरूष था और भुगतान गर्भाशय निकालने के नाम पर ले लिया गया।
यहां गौरतलब बात यह है कि आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़े के 90 प्रतिशत मामले उत्तर प्रदेश के निकले हैं। जहाँ फर्जी ढंग से हेल्थ कार्ड बनाये गये। सरकार ने गरीबों के इलाज के लिए यह योजना लागू की थी। जिसमें देश के 50 करोड़ लोगों को इस योजना के दायरे में लाने का लक्ष्य रखा गया है। वैसे यहाँ बता दें कि आयुष्मान योजना विश्व की किसी भी सरकार द्वारा लागू सबसे बड़ी हेल्थ इंश्योरेंस योजना मानी जाती है। लेकिन घोटालेबाजों ने इस महत्वपूर्ण योजना को कमाई का जरिया बना लिया है। पकड़े गये लोगों के विरूद्ध नरम कानूनी कार्रवाई के चलते इस योजना के फर्जीवाड़े को रोक पाना नामुमकिन लग रहा है।