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कारगिल युद्ध :खुफिया तंत्र के निकम्मेपन का नतीजा, 527 जवानों की शहादत का कारण क्या था आखिर?

 

लेखक पंकज चतुर्वेदी (देश के जाने-माने पत्रकार और चिंतक हैं)

देश में कारगिल विजय के जश्न मनाये जा रहे हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कारगिल युद्ध को ही इतिहास का सबसे भयावह युद्ध माना जाता है। क्योंकि इस युद्ध में भारी मात्रा में विस्फोटक, रॉकेट, मिसाइल, तोप और मोर्टार का इस्तेमाल किया गया था। सेना के अधिकारियों के अनुसार कारगिल वॉर में करीब ढाई लाख गोले, पांच हजार बम व 300 से अधिक मोर्टार दागे गए थे। बताया जाता है कि कारगिल लड़ाई के 17 दिनों तक हर दिन प्रति मिनट एक दफा फायर किया जाता था।

युद्ध में भारत व पाकिस्तान दोनों तरफ के जवानों की शहादत हुई। भारत ने करीब 527 सैनिकों को खोया और 1300 से ज्यादा सैनिक घायल हुए, जबकि पाकिस्तान के अनुसार उनके 357 सैनिक इस युद्ध में मारे गए थे। वहीं 665 से ज्यादा सैनिक घायल हुए थे।

जिस युद्ध  में हमारे इतने  जवान शहीद हुए उसकी असली वजह पर आज भी पर्दा डाला जाता है, असल में यह हमारे खफिया तंत्र की असफलता, लापरवाही या चूक के कारण हुआ था।
3 मई को एक कश्मीरी चरवाहे ने भारतीय सेना को बताया कि पाकिस्तानी सेना ने कारगिल पर कब्जा कर लिया है। – 5 मई को भारतीय सेना जब पेट्रोलिंग करने गई तो उन्हें पकड़ लिया गया व 5 जवानों की हत्या कर दी गई। – 27 मई को भारतीय वायुसेना की ओर से पाकिस्तान को खदेड़ने के लिए मिग-27 व मिग-29 का इस्तेमाल किया गया। – 5 जून को भारतीय सेना ने पाक रेंजर्स द्वारा कब्जा किए जानें की सूचना भारतीय मीडिया को दी। भारत के अखबारों में यह खबर तहलका मचा दी। – 6 जून से भारतीय सेना ने पूरी ताकत से पाकिस्तान पर हमला करने का मन बना लिया। 9 जून को बाल्टिक की 2 चौकियों पर भारत ने तिरंगा फहराया। – 11 जून को भारत ने जनरल परवेज मुशर्रफ व पाकिस्तानी सेना के अध्यक्ष जनरल अजीज खान के बातचीत का आडियो रिकॉर्डिंग पूरी दुनिया के सामने जारी किया और बताया कि इस नापाक हरकत में पाक आर्मी का ही हाथ है।
भारत के लिए यह शर्मनाक था कि परवेज मुशर्रफ भारत की सीमा में बनी अपनी चौकी में एक  दिन बीता कर चला गया, उन्होंने हमारी सीमा  में ढेर सारा असलहा, बारूद जोड़ लिया और में खबर ही नहीं मिली।
देश कारगिल युद्ध के समापन का बीसवां साल मना रहा है, असल में गंभीरता से देखें तो यह उत्सव मनाने का वाकिया है ही नहीं, हमने तो अपनी नाकामी के कहते हमारे जवानों को शहीद किया था। 
दुर्भाग्य है कि आज तक उन नाकामी के जिम्मेदार लोगों को सजा तो दूर, उनके नाम भी उजागर नहीं हुए, उनमें से कई आज भी ऊंचे ओहदे पर हैं। 
राजनेताओं के पिट्ठू ऐसे अफसरों के निकम्मेपन  के चलते शहीद हुए हमारे जवानों को शत -शत नमन।

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