भीलवाड़ा से भैरु सिंह राठौर की विशेष रिपोर्ट
भीलवाड़ा। जिले की आसींद तहसील के कालियास कस्बे में स्थित श्री खाकुल देव जी नामक धार्मिक स्थल के अद्भुत और अकाट्य प्रमाण ने आज के भौतिक और वैज्ञानिक युग में विज्ञान को भी फेल करके रख दिया है। कहते हैं कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती है। यह कहावत इस धार्मिक स्थल पर खरी उतरती हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता तो यह है कि यहां पर किसी भी तरह की झाड़ फूंक- ओझा, भाव- भंगिमा जैसे बाह्य आडंबर नहीं होते हैं। इस मंदिर पर किसी भी पागल कुत्ते के शिकार बेड़ियों में जकड़े हुए लोग आते हैं और चमत्कारिक रूप से ठीक होकर चले जाते हैं। इस मंदिर का वास्तविक इतिहास तो सही नहीं पता पर यहां के लोगों का कहना है कि यह बरसों पुराना है। इस मंदिर पर आने वाले किसी पागल कुत्ते के शिकार हुए लोगों को यहां का चमत्कारिक प्रसाद (तेल में भिगोकर दी जाने वाली नारियल की चटक) खिलाया जाता है और वो चमत्कारिक रूप से ठीक हो जाते हैं। यहां आने वाले लोगों में राजस्थान से तो लोग आते ही हैं पर बाहर से आने वाले लोगों की भी कोई कमी नहीं है। यहां आने के लिए भीलवाड़ा (राजस्थान) जिला मुख्यालय से आवागमन के लिए बसों का साधन उपलब्ध रहता है। श्री खाकुल देव जी के नाम का साल में एक बार इस कस्बे में मेला लगता है जिसे देखने दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। और साल में एक बार विशाल भजन संध्या का आयोजन होता है जिसमें हजारों की संख्या में लोग उमड़ कर भजन संध्या का आनंद उठाते है।