हल्द्वानी ।प्रदेश सरकार के मुखिया और स्वास्थ्य मंत्री लाख इस बात के दावे करते हैं कि राज्य में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर स्थिति में हैं। लेकिन जिले के डीएम की पत्नी ने बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के सरकारी दावे की हवा निकाल दी है। बीते रोज से मीडिया में छाया यह प्रकरण जहाँ जिलाधिकारी की पत्नी द्वारा वीआईपी कल्चर को त्यागकर आम जनता के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण के तौर पर बताया जा रहा है वहीं इसके दूसरे पहलू को नजरअंदाज कर दिया गया है।
जिन समस्याओं को जिलाधिकारी की पत्नी ने एक दिन झेला आम जनता रोज ही ऐसी समस्याओं से रूबरू हो रही है। जिलाधिकारी की पत्नी का यह मामला इसलिए सुर्खियों में है कि वह जिले की डीएम की पत्नी हैं। वी आई पी हैं। पर डाक्टर न होने लंबी लाइन में लगना और समय पर दवाई न मिलना जैसी समस्याओं से जूझ रहे आम आदमी के लिए आवाज कौन उठायेगा?
यह हालत राज्य के किसी एक चिकित्सालय की ही नहीं कमोबेश हर चिकित्सालय में आने वाला व्यक्ति रोज ही इससे जूझ रहा है। हालांकि राज्य सरकार के दावों में कहीं कोई कमी नहीं है। अगर राज्य सरकार के दावे सही हैं तो हल्द्वानी चिकित्सालय में हुआ यह प्रकरण राज्य सरकार की आंख खोलने के लिए काफी है। सुविधाओं के नाम पर समस्या झेल रहे आम नागरिक की आखिर कौन सुनेगा?
चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे सरकारी चिकित्सालय पूरी तरह से दोषी नहीं कहे जा सकते हैं। सरकार दावों तक ही सीमित है। कल हल्द्वानी में जिलाधिकारी की पत्नी के प्रकरण ने साफ कर दिया है।