काशीपुर ।19 साल के बालिग उत्तराखंड के लिये आज एक शर्मनाक खबर आयी। जब भ्रष्टाचार के आरोपों में काशीपुर की निलंबित एसीजेएम को शासन ने नौकरी से बर्खास्त कर दिया। उत्तराखंड शासन ने सेवा समाप्त करने का यह आदेश उच्च न्यायालय की सिफारिश पर जारी किया गया है। बता दें कि अनुराधा गर्ग 2015 से निलम्बित चल रही थीं।
मामले में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल नरेंद्र दत्त को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था। उनकी ओर से की गई प्रारंभिक जांच के बाद 24 मार्च 2015 को रिपोर्ट चीफ जस्टिस के समक्ष पेश की गई। रिपोर्ट में अनियमितता और भ्रष्टाचार की बात कहीं गई थी। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल डीपी गैरोला ने निलंबन आदेश जारी किए थे।मामले की पूरी जानकारी के लिए चार साल पीछे देखना पड़ेगा। 2015 में हाईकोर्ट ने एडीशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट अनुराधा गर्ग की एक मामले में गोपनीय जांच कराई थी। दो बार जांच करने के बाद रिपोर्ट मुख्य न्यायाधीश को सौंपी गई थी। जांच रिपोर्ट पर विचार करने के बाद गर्ग के निलंबन के आदेश जारी किए गए थे। । हाईकोर्ट के रजिस्टार जनरल डीपी गैरोला ने 24 मार्च 2015 को मिली जांच रिपोर्ट को आधार बनाते हुए निलंबन का पत्र जारी किया है। 27 मार्च को जारी किए गए निलंबन आदेश में संविधान के तहत मिली शक्तियों के उपयोग का उल्लेख किया गया था ।आदेश में कहा गया था कि निलंबन के दौरान गर्ग ऊधमसिंहनगर जिला न्यायालय से संबद्ध रहेंगी। नियमानुसार वेतन आदि का भुगतान होगा। इस दौरान अवकाश के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश ऊधमसिंह नगर से पूर्व स्वीकृति लेनी आवश्यक होगी। उत्तराखंड हाईकोर्ट की स्थापना के बाद यह पहला मौका था जब किसी न्यायिक अधिकारी के खिलाफ यह कार्रवाई की गई थी ।4 साल बाद मामले की गहन जांच में भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध हुये और आखिरकार उत्तराखंड के इतिहास में एक काला पन्ना जुड़ गया।