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उत्तराखंड: आखिर चेले ने खोल ही दिया गुरु के खिलाफ मोर्चा

उत्तराखंड में कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ भी बगावत के सुर उठने लगे हैं। रामनगर सीट पर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

@शब्द दूत ब्यूरो (26 जनवरी, 2022)

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए टिकटों की घोषणा होने के बाद से कांग्रेस के भीतर कलह शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। उधर, रामनगर के रण में अपनी सेना उतार चुके कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत चुनावी मैदान में पूर्व सीएम हरीश रावत के पक्ष में मैदान छोड़ने को राजी नहीं हैं। रणजीत रावत का कहना है कि पार्टी अगर उनको यहां से लड़ाने की जिद करेगी तो वह खुद निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।

रणजीत रावत अभी पार्टी हाईकमान के अंतिम निर्णय के इंतजार में हैं। उन्होंने कहा कि वे लंबे समय से पार्टी के ही इशारे पर रामनगर को अपना चुनाव क्षेत्र मान यहीं अपना फोकस कर रहे थे। यहां वह हरीश रावत के ही कहने से आए थे। रणजीत रावत के मूड से साफ लग रहा कि वह गुरु से दो-दो हाथ करने की पूरी तैयारी में है। अगर रणजीत बागी हुए तो चुनाव की निर्णायक बाजी कांग्रेस के हाथ से फिसल भी सकती है।

रणजीत रावत ने कहा कि ऐन मौके पर हरीश रावत रामनगर से लड़ने आ रहे हैं। उनके मन में ऐसा कुछ था तो पहले ही उनको बता देते। ऐसे में वे सल्ट विधानसभा से ही तैयारी कर लेते। 2017 की मोदी लहर में रणजीत रावत रामनगर से चुनाव हारने के बाद नए सिरे से तैयारी में जुटे थे।

बता दें कि रणजीत रावत, हरीश रावत के लंबे समय तक लेफ्टिनेंट माने जाते थे। एक लंबे समय तक उत्तराखंड में गुरु-चेले की यह जोड़ी खूब सुर्खियां बटोरती रही। हरीश रावत के मुख्यमंत्री काल में रणजीत काफी शक्तिशाली माने जाते थे। साल 2017 के चुनाव के बाद हरीश और रंजीत के बीच मनमुटाव शुरू हुआ था।

रणजीत रावत ने कहा कि अगर रामनगर से हरीश को शिफ्ट न किया गया तो वह निर्दलीय लड़ेंगे और सल्ट से भी अपने ब्लॉक प्रमुख बेटे विक्रम को चुनावी मैदान में उतारेंगे। यानी कि अब रणजीत रावत पूरे बगावती मूड में हैं।

जब हरीश से पूछा गया कि अब वह रणजीत रावत को किस तरह से मनाएंगे तो उन्होंने कहा वह मेरे छोटे भाई हैं और बहुत ही होनहार व्यक्ति हैं। मैं तो उन्हें शुभकामना के अलावा और क्या दे सकता हूं। उन्होंने कहा कि मैंने रामनगर से बहुत कुछ सीखा है और इस वक्त जब मैं जीवन के अंतिम दौर में हूं तो मैंने रामनगर को चुनना ही सही समझा।

 

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