सूत्रों की मानें तो स्वामी प्रसाद मौर्य लंबे समय से नाराज चल रहे थे। उन्होंने कई बार पार्टी मंच पर अपनी नाराजगी का इजहार भी किया था। इसके बाद करीब छह महीने पहले स्वामी सपा के संपर्क में आए। फिर करीब एक महीना पहले भाजपा को झटका देने की पटकथा तैयार की गई।
भाजपा से बीते तीन दिनों से जारी मंत्रियों-विधायकों का पलायन पूर्व नियोजित था। करीब एक महीना पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा के लिए सत्ता की चाबी साबित हुए गैर-यादव ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए भगदड़ की पटकथा लिखी थी। यही कारण है कि पार्टी छोड़ने वाले करीब-करीब सभी मंत्री एवं विधायक न सिर्फ गैरयादव ओबीसी वर्ग के हैं, बल्कि इनके इस्तीफे की भाषा भी एक जैसी है।
खास बात यह है कि भाजपा नेतृत्व को इस पलायन की जानकारी थी। बीते महीने इन नेताओं से संपर्क भी साधा गया था। शुरुआती मनुहार के बाद प्रदेश इकाई ने केंद्रीय नेतृत्व को सब ठीक हो जाने का संदेश दिया। हालांकि शुरुआती बातचीत के बाद इन नेताओं की गतिविधियों पर ध्यान नहीं दिया गया। इसके बाद अब एकाएक इस्तीफों के एलान के कारण पार्टी असहज स्थिति है।
सूत्रों की मानें तो स्वामी लंबे समय से नाराज चल रहे थे। उन्होंने कई स्तरों पर पार्टी मंच पर अपनी नाराजगी का इजहार भी किया था। इसके बाद करीब छह महीने पहले स्वामी सपा के संपर्क में आए। फिर करीब एक महीना पहले भाजपा को झटका देने की पटकथा तैयार की गई। तय रणनीति के तहत चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद गैरयादव ओबीसी नेताओं के बारी-बारी से इस्तीफा देने की योजना बनाई गई जिससे भाजपा के लिए सत्ता की चाबी साबित हुए इस वर्ग को सियासी संदेश दिया जा सके। संदेश यह जाए कि इस वर्ग का भाजपा से मोहभंग हो गया है।
मंत्री धर्म सिंह सैनी और विधायक विनय शाक्य के इतर बीते तीन दिनों में तीन मंत्रियों समेत 13 विधायकों ने भाजपा का साथ छोड़ा है। ये सभी गैर यादव ओबीसी वर्ग से हैं। इनके इस्तीफे की भाषा भी एक जैसी है। मसलन मौर्य से ले कर शाक्य तक ने सरकार में दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों का सम्मान न होने, इनकी उपेक्षा किए जाने, सामाजिक न्याय को कुचलने का आरोप लगाया है। गैरयादव ओबीसी का भाजपा से मोहभंग होने का सियासी संदेश देने के लिए इस्तीफे का सिलसिला अगले दो-तीन दिनों तक जारी रहेगा।
भाजपा में इस्तीफा देने वाले सभी नेता सपा में जा रहे हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव की निगाहें गैर यादव ओबीसी और ब्राह्मण मतदाताओं पर है। गैर यादव ओबीसी को साधने के लिए जहां अखिलेश इसी वर्ग के भाजपा नेताओं को हाथों-हाथ ले रहे हैं, वहीं ब्राह्मण मतदाताओं को रिझाने के लिए सीएम योगी पर अपनी जाति को प्रश्रय देने और ब्राह्मणों की उपेक्षा करने का आरोप लगा रहे हैं। अखिलेश की योजना इस बार बीते चुनाव में भाजपा की तरह गैरयादव ओबीसी और ब्राह्मणों को अधिक संख्या में टिकट देने की है।