वैश्विक संगठन डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने चेतावनी दी है कि वैश्विक स्तर पर जीवों के विलुप्त होने की दर बहुत तेजी से बढ़ सकती है। संगठन ने एक वैश्विक संरक्षण समझौते का आह्वान किया है।
@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (03 जनवरी, 2022)
वैश्विक पर्यावरण और पशुओं के लिए काम करने वाले चर्चित संगठन वर्ल्ड वाइड फंड (डब्लूडब्लूएफ) ने दुनिया को चेतावनी दी है कि अगले एक दशक में धरती डायनासोर के खात्मे के बाद सबसे बड़े विनाश की ओर बढ़ रही है। इसमें करोड़ों वृक्ष और जीव विलुप्त हो जाएंगे। जिन जीवों पर सबसे ज्यादा खतरा मंडरा रहा है, उनमें हाथी, ध्रुवीय भालू, शार्क, मेंढक और मछलियां शामिल हैं। ऐसे जीवों की तादाद 10 लाख है।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने साल 2021 के लिए अपने विनर्स एंड लूजर्स की रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अगले एक दशक में करीब 10 लाख जीव विलुप्त हो जाएंगे। डायनासोर काल में हुए महाविनाश के बाद यह सबसे बड़ा विनाश होने जा रहा है। इस समय संरक्षण के जरूरी रेड लिस्ट में 142,500 प्रजातियां शामिल हैं और इसमें से 40 हजार प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है।’
इंटरनैशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर की साल 1964 में पहली बार बनाई गई इस लिस्ट में यह सबसे बड़ा आंकड़ा है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने चेतावनी दी है कि वैश्विक स्तर पर जीवों के विलुप्त होने की दर बहुत तेजी से बढ़ सकती है। संगठन ने एक वैश्विक संरक्षण समझौते का आह्वान किया है। जिन जीवों पर सबसे ज्यादा विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है, उनमें अफ्रीका में वनों में पाए जाने वाले हाथी शामिल हैं। पिछले 31 साल में इन हाथियों की तादाद में 86 फीसदी की कमी आई है।
यही नहीं आर्कटिक समुद्र में बर्फ के तेजी से पिघलने की वजह से ध्रुवीय भालुओं के विलुप्त होने का खतरा पैदा हो गया है। ऐसा अनुमान है कि साल 2035 तक पूरा आर्कटिक इलाका बर्फ से खाली हो जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि समुद्र में बहुत ज्यादा मछली पकड़े जाने, आवास के खत्म होने और जलवायु संकट से सभी तरक की शार्क की संख्या में 30 फीसदी तक की गिरावट आई है।
ऐसी आशंका जताई जा रही है कि जर्मनी में पाए जाने वाले मेंढक और टोड्स इस महाविनाश में खुद को बचा नहीं पाएंगे और खत्म हो जाएंगे। यहां निर्माण की वजह से आधे उभयचर प्राणी संकटग्रस्त प्रजातियों की लिस्ट में शामिल हो गए हैं। इस भयंकर चेतावनी के बाद भी डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने कहा कि उम्मीद की किरण बाकी है क्योंकि बीते हुए साल में कई सफलता की कहानियां भी हैं।