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क्या दशहरा मेला लग सकेगा काशीपुर रामलीला मैदान में?

 विनोद भगत, प्रधान संपादक 

काशीपुर ।रामनगर रोड स्थित रामलीला मैदान  में नये निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है साथ ही दुकानों के ध्वस्तीकरण पर भी अगले आदेश तक रोक लगाई है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर दोनों पक्ष अपने अपने अधिवक्ताओं से  गंभीर विचार विमर्श कर रहे हैं। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने नये निर्माण पर रोक लगाने का आदेश दिया है। जबकि रामलीला मैदान में अनेक आयोजन होते हैं। सर्वाधिक महत्वपूर्ण आयोजन दशहरा मेला है। मेले के लिए कमेटी को अस्थाई निर्माण कराने होते हैं। क्या अस्थाई निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार होने चाहिए ये अपने आप में गंभीर प्रश्न उठ खड़ा हुआ है। शादी विवाह आदि अवसरों पर किराये पर देते समय भी अस्थाई निर्माण कराये जाते हैं। क्या उन पर भी रोक होगी। यदि ऐसा होता है तो रामलीला मैदान में व्यवसायिक गतिविधियों पर भी रोक मानी जा सकती है?  ये कुछ सवाल हैं जिनका उत्तर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की गहन विवेचना के बाद ही मिल पायेगा। 

बता दें कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने रामलीला मैदान के बाहर बनी 9 दुकानों के मामले में दायर एक याचिका पर अगस्त 2018 में सभी दुकानों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था। जिस पर कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया था। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से रामलीला कमेटी को राहत मिली है। वहीं दुकानदारों ने भी चैन की सांस ली है। काशीपुर रामलीला मैदान का यह मामला काफी चर्चाओं में रहा है। रामलीला मैदान की जमीन वर्षों पहले पूर्व सांसद के सी सिंह बाबा के परिजनों ने रामलीला कमेटी को रामलीला मंचन हेतु दी थी।

हालांकि बाद में यह सवाल उठने लगे थे कि रामलीला मंचन को लेकर दी गई भूमि का व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा है। मैदान के मालिकाना हक को लेकर भी दोनों पक्षों के बीच मामला चल रहा है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला दुकानों के निर्माण और निर्मित दुकानों के ध्वस्तीकरण को लेकर है।

   पूरा मामला ये है  

शहर के बीचोंबीच बेशकीमती हो चुकी भूमि पर   रामलीला कमेटी द्वारा 9 दुकानें बनायी गयी।  जिन्हें  रामलीला कमेटी द्वारा व्यवसायिक उपयोग के लिए बनाये जाने का आरोप लगाते हुए  काशीपुर निवासी सुशील कुमार भटनागर ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र लगाकर दुकानों के ध्वस्तीकरण की मांग की थी।अगस्त 2018 में  माननीय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजीव शर्मा ने जिला मजिस्ट्रेट के जून 2006 में दिए गए आदेश को सही ठहराते हुए काशीपुर रामलीला कमेटी द्वारा निर्माण की गई 9 दुकानों के ध्वस्तीकरण के आदेश दिए थे।  यह आदेश 22 जून, 2006 को तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा काशीपुर निवासी सुशील कुमार भटनगार के प्रार्थना पत्र पर श्री रामलीला कमेटी काशीपुर के द्वारा रामलीला मैदान के बाहर अवैध रूप से बनाई गयी नौ दुकानें ध्वस्त करने का आदेश को लेकर दिया गया था।

इसके बाद उपरोक्त वाद विभिन्न न्यायालयों में विचारण के उपरान्त माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल पहुंचा। याचिकाकर्ता सुशील कुमार भटनागर ने बताया कि काशीपुर रामलीला कमेटी को पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के पिता ने अपनी भूमि धार्मिक कार्य के लिए दी थी।

लेकिन रामलीला कमेटी द्वारा इस जमीन पर अपना मालिकाना हक़ दिखाते हुए रामलीला मैदान के बाहर कई दुकानें बना दी और यहीं नहीं रामलीला मैदान का उपयोग धार्मिक कार्य के साथ साथ शादी विवाह जैसे कार्यक्रमों में भी किया जाने लगा था। जिसको लेकर उनके द्वारा एसडीएम मुकेश मेश्राम को प्रार्थना पत्र देकर कार्यवाही की मांग की थी इस मांग पर तत्कालीन एसडीएम  द्वारा नक्शा निरस्त  किया गया।नक्शा निरस्त  होने का कारण मालिकाना हक की स्थिति स्पष्ट न होना था।  लेकिन  बाद में उनके ट्रांसफर के बाद आये  एसडीएम ने नियमों को ताक पर रखते हुए उन्ही नक्शो को पास कर दिया।

जिसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई कर एसडीएम को आदेश दिए। लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने पर सुशील कुमार भटनागर नैनीताल कोर्ट में याचिका दर्ज कर कार्रवाई की मांग की। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 9 दुकानों के ध्वस्तीकरण के आदेश जिलाधिकारी को दिए। लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के नये आदेश से अब दुकानों के गिराये जाने पर रोक लगा दी गई है। एक तरह से रामलीला कमेटी को राहत भी कह सकते हैं लेकिननये निर्माण पर रोक लगाने के आदेश से रामलीला कमेटी को व्यवसायिक नुकसान भी है।

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