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आखिर क्या है तंबाकू से भरे चार ट्रकों की कहानी जिसने बताया पीयूष जैन के खजाने का पता, जानें क्या था ये पूरा मामला

डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीआई) की एक छोटी सी कार्रवाई ने पीयूष जैन के काले धन का राज फाश कर दिया। एक के बाद एक कड़ियां जुड़ती गईं और सामने आया 195 करोड़ नकद और कई किलो सोने का सच। जानिए कैसे आखिर पीयूष जैन की काली कमाई का खुलासा कर सके अधिकारी।

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (28 दिसंबर, 2021)

अचानक सुर्खियों में आया एक नाम पीयूष जैन, इसी नाम के साथ जुड़ा काली कमाई के करोड़ाें रुपये और कई किलो सोने का सच। इतना नकद मिला कि कार्रवाई 36 घंटों तक चली, डीजीजीआई और आयकर विभाग के अधिकारी नोट गिनते गिनते थक गए। नोट गिनने की मशीनें भी हांफ गईं।

अब बड़ा सवाल ये है कि पीयूष जैन आयकर विभाग और डीजीजीआई के रडार पर आया कैसे। क्योंकि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वो बड़ी लो प्रोफाइल जिंदगी ही जी रहा था। स्कूटर पर चलता था और घर में एक हैचबैक कार थी।

तो इस बात का खुलासा किया डीजीजीआई ने। डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस ने बताया कि कैसे ये पूरा मामला परत दर परत खुलता गया और एक छोटी सी कार्रवाई के चलते पीयूष जैन पकड़ में आया।

दरअसल, डीजीजीआई ने ये कार्रवाई चार ट्रकों में भरे तंबाकू और पान मसाले का जीएसटी न देने के मामले में शुरू की थी। ये ट्रक गणपति रोड कॅरियर के थे और इसी के जरिए डीजीजीआई के अधिकारी शिखर पान मसाले की फैक्ट्री तक पहुंच गए।

यहां पर अधिकारियों को लगा कि ये कार्रवाई बड़ी होने वाली है क्योंकि गणपति रोड कॅरियर के नाम से उन्हें 200 से ज्यादा फर्जी इनवाइस मिलीं लेकिन उस समय तक भी अधिकारियों को इस बात की भनक नहीं थी कि ये मामला कुछ करोड़ का नहीं कई सौ करोड़ का निकलेगा।

इस पूरी कार्रवाई के दौरान शिखर गुटखे के निर्माताओं ने माना कि कि उन पर टैक्स बकाया है और उन्होंने 3.09 करोड़ रुपये को जमा करवा दिया। इसी दौरान अधिकारियों के सामने शिखर गुटखा के एक और पार्टनर का नाम सामने आया ओडोकैम इंडस्ट्रीज। यहीं से शुरू हुई पीयूष जैन की कहानी।

पीयूष जैन ओडोकैम इंडस्ट्रीज का मालिक है और इसी के चलते अधिकारियों ने कंपनी के कानपुर स्थित रजिस्टर्ड एड्रेस पर छापेमारी की कार्रवाई की। ये छापा था आनंदपुरी स्थित पीयूष जैन के घर पर। डीजीजीआई के अनुसार इसी घर से अधिकारियों को 177.45 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए। ये अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई थी।

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