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रेलवे कर्मचारी करेंगे चक्का जाम
रेलवे के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। देश की पहली निजी ट्रेन जल्द ही पटरियों पर दौड़ने को तैयार है। वहीं दूसरी ओर देशभर के रेलवे कर्मचारी इसके विरोध में लामबंद होने शुरू हो गये हैं। जहाँ भारत के इतिहास में पहली बार निजी ट्रेन चलने जा रही वहीं 38 साल बाद रेलवे कर्मी चक्का जाम करने जा रहे हैं। जबकि रेलवे बोर्ड ने रेलवे कर्मियों की हड़ताल की संभावना के मद्देनजर सख्त कदम उठाने के संकेत दिए हैं। टकराव की यह नौबत भारत की पहली निजी ट्रेन तेजस की वजह से है। उधर देश की पहली ट्रेन की रूपरेखा तय हो गई है। ये ट्रेन सुबह 6:50 पर लखनऊ से निकलकर दोपहर 1:35 पर नई दिल्ली पहुंचेगी।वापसी में ये ट्रेन (12586) दोपहर बाद 3:35 पर नई दिल्ली से निकलकर 10:05 पर लखनऊ पहुंचेगी।निजी ऑपरेटर के संचालन में चलने वाली पहली यात्री ट्रेन तेजस एक्सप्रेस जल्द ही लखनऊ और नई दिल्ली के बीच दौड़ेगी।
मुसाफिरों को आधुनिक सुविधाएं देने के लिए भारतीय रेल ने ट्रायल बेसिस पर यह ट्रेन आईआरसीटीसी के जिम्मे है। इस ट्रेन में आधुनिक आरामदायक सीटें, एलईडी लाइटें, बॉयो टॉयलेट, सेंसर वाले टैप, सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे और मेट्रो ट्रेनों की तरह ऑटोमेटिक दरवाज़े होंगे। आईआरटीसी आने वाले 100 दिनों के भीतर इस ट्रेन का संचालन शुरू करना चाहता है. दूसरे रूट के बारे में भी जल्द फैसला लिया जा सकता है।इस समय यह ट्रेन उत्तर प्रदेश के आनंद नगर रेलवे स्टेशन में खड़ी है।बोली प्रक्रिया पूरी होने के बाद इस ट्रेन को प्राइवेट कंपनी के हाथों में सौंप दी जाएगी।
एयरप्लेन की तरह तेजस एक्सप्रेस की हर सीट पर एल सीडी स्क्रीन लगा है।हर सीट पर अटेंडेंट बटन लगा है जिससे दबा कर आप अपनी सहायता के लिए अटेंडेंट को बुला सकते हैं।इस ट्रेन में LED लाइट लगी हुई हैं।सिगरेट स्मोकिंग को डिटेक्ट करने के लिए ऑटो डिटेक्टर लगे हुए हैं। इस ट्रेन में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है।हर सीट पर चार्जिंग और यूएसबी केवल लगे हुए हैं। ट्रेनों को इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) को सौंपा जाएगा। वह लीज शुल्क समेत इसके लिए वित्तीय कंपनी आईआरएफसी को भुगतान करेगी। दिल्ली और लखनऊ के बीच 53 ट्रेनें चलती हैं, लेकिन इस रूट पर एक भी राजधानी नहीं चलती है. इस रूट की सबसे तेज ट्रेन स्वर्ण शताब्दी है जो पहुंचाने में 6.30 घंटे लेती है।
आधुनिक सुविधायें हैं इस निजी ट्रेन में तो मुसाफिरों को इसके लिए अतिरिक्त किराया भी चुकाना होगा। शताब्दी एक्सप्रेस के मुकाबले 20 प्रतिशत अधिक किराया देना होगा ऐसी जानकारी मिल रही है। आईआरटीसी जल्द ही इसके लिए टेंडर जारी करेगा। जिस भी निजी पार्टी को ये ट्रेन सौंपी जाएगी वो रेलवे के रिज़र्वेशन सिस्टम पर टिकट बुक करवा सकेगा। ट्रेन में ड्राइवर और गार्ड भारतीय रेल का होगा जबकि टीटीई की जगह ट्रेन सुपरवाइजर मौजूद होगा जो कि निजी कंपनी का होगा।