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प्रसंगवश :हरीश रावत के ट्वीट के बाद उत्तराखंड कांग्रेस में देहरादून से दिल्ली तक सियासी सुनामी, समर्थन में उतरे तमाम नेता

पूर्व सीएम हरीश रावत अपनी ही पार्टी से नाराज हैं। हरीश रावत के ट्वीट से सोशल मीडिया समेत अन्य दलों में सनसनी फैल गई है। 

@शब्द दूत ब्यूरो (23 दिसंबर, 2021)

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ट्वीट ने देहरादून से लेकर दिल्ली तक सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। आसन्न चुनावों से पहले कांग्रेस के इस दिग्गज नेता ने सियासी गलियारों में जो हलचल मचाई है उससे हर कोई हैरान हैं। सबसे ज्यादा कांग्रेस के भीतर भारी अंतर्द्वंद और कलह का माहौल बन गया है। 

अब इस ट्वीट प्रकरण के बाद जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक कांग्रेस हाईकमान ने हरीश रावत को दिल्ली तलब कर लिया है। उधर उत्तराखंड में तमाम कांग्रेस नेता हरीश रावत के पक्ष में उतर आये हैं। सुरेंद्र अग्रवाल   हों या राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा, जागेश्वर विधायक और पूर्व विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल और धारचूला विधायक हरीश धामी हरीश रावत के समर्थन में आ गए हैं। उधर सोशल मीडिया पर भी हरीश रावत के समर्थन में धड़ाधड़ पोस्ट की जाने लगी है। ऐसा लगता है कि कोई फैसला लेने से पहले हरीश रावत उत्तराखंड में अपने समर्थकों को पूरा समय देना चाहते हैं और हाईकमान को भी यह जताना चाहते हैं कि उत्तराखंड में कांग्रेस का पर्याय हरीश रावत है। 

जिस तरह से उनके समर्थकों का हुजूम उनके पक्ष में उमड़ा है उससे सूबे की राजनीति में उबाल आ गया है। 

समर्थकों का मानना है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं से लेकर आम लोग की पसंद भी हरीश रावत है। लिहाजा, केंद्रीय नेतृत्व को उन्हें चेहरा घोषित करना चाहिए। गोविंद सिंह कुंजवाल ने तो स्पष्ट कह दिया कि जहां हरीश रावत जाएंगे वहां हम सब जाएंगे। वहीं, विधायक धामी बोले कि अगर हरदा को सीएम नहीं बनाया तो अलग लाइन में खड़े होने वालों में वह सबसे आगे होंगे।

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल उत्तराखंड कांग्रेस का एक दिग्गज चेहरा हैं उनका साफ तौर पर कहना है कि चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष होने की वजह से पार्टी के सभी कार्यक्रम हरीश रावत के नेतृत्व और मार्गदर्शन में होने चाहिए थे। मगर कुछ लोगों ने अलग रैली और कार्यक्रम शुरू किए तो विवाद खड़ा होना स्वाभाविक है। मेरा मानना है कि जो लोग कांग्रेस को सत्ता में नहीं चाहते, यह कारनामे उनके हैं। जनता और तमाम सर्वे कह चुके हैं कि हरीश रावत से बड़ा नेता उत्तराखंड में कोई नहीं है। उनके भीतर प्रदेश को लेकर पीड़ा है। अगर वह दूसरे दल में जाते हैं तो हम सब साथ जाएंगे।

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