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जानिए किन कंपनियों को कोरोना वैक्सीन बनाने के ठेके मिले और क्या हैं इनकी कारस्तानियां

अब तक सिंगल डोज वैक्सीन बनाने का दावा सिर्फ एक कंपनी ने किया है, नाम है- जॉनसन एंड जॉनसन। अमेरिका के लोग इसे लगवा भी रहे हैं। बाद में साइड इफेक्ट की शिकायतों पर काफी बवाल भी कटा था। असल में इस कंपनी का इतिहास भी ऐसा ही है।

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (12 दिसंबर, 2021)

पूरे विश्वभर में अब कोरोना के नए अवतार यानी वैरिएंट ओमिक्रॉन की चर्चा है। वैक्सीन की डबल डोज़ के बावजूद भी ओमिक्रॉन का डर बना हुआ है। दुनियाभर में कोरोना की सटीक वैक्सीन के लिए शोध जारी है। बहुत सी दवा कंपनियां कोरोना की वैक्सीन बनाने में जुटी भी हैं। लेकिन, कुछ दवा कंपनियां ऐसी भी हैं जिनपर लोगों की जान से खेलने के लिए जुर्माना लगा।बावजूद इसके इन दवा कंपनियों को कोरोना वैक्सीन बनाने के ठेके दे दिए गए।

आइए आपको बताते हैं उन फर्मा कंपनियों के बारे में जिन्हें वैक्सीन बनाने का ठेका मिला। कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनी फाइजर और इसकी सहायक कंपनी फर्माशिया एंड अपजॉन ने लोगों की जिंदगी ताक पर रखकर गलत तरीके से बेक्स्ट्रा दवा को बाजार में उतार दिया था। जब लोगों ने इसके बारे में शिकायत की तो 2005 में इस दवा को कंपनी ने वापस ले लिया था।

दवा की गलत जानकारी देने और लोगों की जिंदगी को ताक पर रखने के एवज में कंपनी पर आपराधिक मामला चला था। 2009 में कंपनी ने 2.3 बिलियन डॉलर जुर्माना देकर मामले को सुलझाया था। इसी कंपनी की बनाई हुई वैक्सीन अमेरिका और यूरोप में लगाई गई है।

दूसरी कंपनी है जॉनसन एंड जॉनसन जिसपर नशीली दवाओं को जानकारी दिए बिना बेचने पर जुर्माना लगा था। अब तक सिंगल डोज वैक्सीन बनाने का दावा सिर्फ एक कंपनी ने किया है, नाम है- जॉनसन एंड जॉनसन। अमेरिका के लोग इसे लगवा भी रहे हैं। बाद में साइड इफेक्ट की शिकायतों पर काफी बवाल भी कटा था। असल में इस कंपनी का इतिहास भी ऐसा ही है।

अब जब हम फार्मा कंपनियों की धोखेबाजी की बात कर रहे हैं तो तीन कंपनियां और हैं, जिनकी बेईमानी को जानना चाहिए। पहली कंपनी है ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन यानी जीएसके। इस कंपनी पर लोगों की जान से खेलने के लिए तीन अरब डॉलर का जुर्माना लगा था। इस कंपनी पर आरोप था कि बिना सही से जांचे-परखे पैक्सिल और वेलब्यूट्रिन जैसी दवाओं को लेकर ‘ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (जीएसके)’ ने फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफ़डीए) को गलत रिपोर्ट दी।

यही नहीं, कंपनी ने इन दवाओं का गलत प्रचार भी किया। सरकार को कीमत के बारे में गलत जानकारी दी गई। इस मामले में कंपनी से 3 अरब डॉलर जुर्माने के तौर पर लिया गया। यह अब तक के इतिहास में किसी दवा कंपनी से वसूला गया सबसे अधिक जुर्माना है।

दुनिया की बड़ी दवा कंपनी टाकेडा को अपने किए के लिए 2.4 बिलियन डॉलर का जुर्माना चुकाना पड़ा है। टाकेडा पर आरोप था कि कंपनी ने ब्लड शुगर दवा ‘पियोग्लिटाजोन’ के बुरे प्रभावों को बताए बिना दवा का धड़ल्ले से प्रचार और बिक्री की। एफ़डीए ने 1999 में इस दवा के बुरे प्रभावों को बताते हुए इसे बेचने की परमिशन दी थी, लेकिन कंपनी ने इसके जोखिमों को छिपाकर इसे बेचा। जब लोगों और राज्यों ने इसके खिलाफ शिकायत की तो कंपनी को इस मामले में भारी भरकम जुर्माना देना पड़ा।

2012 में एबॉट लेबोरेटरीज नाम की एक इंटरनेशनल दवा कंपनी को भी गलत तरह से दवा बेचने के आरोप में जुर्माना भरना पड़ा था। फार्मास्युटिकल टेक्नोलॉजी के मुताबिक, कंपनी ने डेपाकोट नाम की दवा को गैरकानूनी तरीके से बेचा था। इस दवा से लोगों पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव के बारे में भी कंपनी ने जानकारी नहीं दी थी।

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