वेद भदोला
चैंपियन प्रकरण में प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू ने एक बार फिर पलटी मार दी। अब उनका कहना है कि पार्टी से निष्कासित करने का अधिकार सिर्फ केंद्रीय नेतृत्व को है। ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी ही है कि आखिर प्रदेश प्रभारी जाजू की प्रदेश भाजपा में क्या स्थिति है।
कल देर शाम उन्होनें पत्रकारों को प्रणव सिंह चैंपियन के भाजपा से निष्कासन की खबर दी थी। उन्होनें इस बात की भी पुष्टि की थी कि अनिश्चितकालीन निलंबन की जगह उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।
दरअसल, पहले भी भाजपा के कई नेता सार्वजनिक स्थानों पर लड़ाई-झगड़ों के चलते पार्टी के लिए परेशानी पैदा करते रहे हैं। चाहे राजकुमार ठुकराल हों या शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे, ये अपनी हरकतों से बराबर सुर्खियों में रहते हैं।
चैंपियन के इस अक्षम्य अपराध पर प्रदेश हाईकमान इसलिए भी हलकान है क्योंकि मैदानी विधायक उन्हें पार्टी से निष्कासित नहीं देखना चाहते। मलिन बस्तियों को उजाड़ने के खिलाफ सरकार द्वारा लाया गया त्वरित अध्यादेश मैदानी विधायकों के मजबूत कॉकस को ही दर्शाता है।बिडम्बना तो यह है कि पर्वतीय इलाकों के विधायक पिट रहे हैं। हाल ही में गढ़वाल मंडल के एक विधायक नैनीताल में बाजार में पीट दिये गये। और इस मामले में में विधायक चुप्पी साध गये थे।
फिलहाल, चैंपियन प्रकरण भाजपा के प्रदेश हाईकमान के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। क्योंकि, अब सबका साथ और सबका विकास में सबका विश्वास भी जुड़ गया है।