Breaking News

उत्तराखंड :तीस सीटों पर भाजपा की स्थिति है डांवाडोल, पार्टी के आंतरिक सर्वे की रिपोर्ट, कई मौजूदा विधायकों का कटेगा टिकट

@विनोद भगत

उत्तराखंड मिशन 2022 के लिए भारतीय जनता पार्टी का जो आंतरिक सर्वे हुआ है उसमें से 30 विधानसभा सीटों पर पार्टी की हालत नाजुक है। बीस विधानसभा सीटें तो ऐसी हैं जहाँ भाजपा का अपना विधायक है। इन सभी सीटों पर सत्ता विरोधी लहर के चलते पार्टी के भीतर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। यहाँ मौजूदा विधायकों का जो रिपोर्ट कार्ड सामने आया है उससे पार्टी की चिंतायें बढ़ रही है। दस सीटें ऐसी हैं जिनमें कांग्रेस का विधायक है लेकिन वहाँ भारतीय जनता पार्टी अपनी सरकार रहने के बावजूद पिछड़ रही है।

अब पार्टी के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि प्रत्याशी बदलने से वह डैमेज कंट्रोल कर पायेगी या नहीं। इस पर गंभीरता से मंथन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री बदलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों के कई फैसले पलटने से क्या पार्टी को लाभ मिलेगा? इस पर अब संशय की स्थिति बन रही है। हालांकि मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिस तरह से थोड़े समय में पार्टी की स्थिति को सुधारा है वह प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के साठ पार के नारे को किस तरह साकार कर पायेगी यह अपने आप में यक्ष प्रश्न बन गया है।

इधर बाजपुर में यशपाल आर्य पर हमले के प्रकरण को कांग्रेस ने जिस तरह से उठाया है वह भाजपा के लिए खतरे की घंटी है। उस पर यशपाल आर्य के ऊपर मुकदमे से भाजपा के विरूद्ध संदेश गया है। मदन कौशिक का बयान कि जो जैसा करेगा वैसा भरेगा ने इस मुद्दे पर भाजपा को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

इस बीच केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के नेतृत्व में चुनाव प्रभारी व सह प्रभारियों की टीम भी विधायकों और संभावित दावेदारों के दमखम को टटोलने में जुट गई है। 

सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने के लिए तीस सीटों पर भाजपा को प्रत्याशी बदलने के दबाव के साथ चुनावी रण में उतरना पड़ेगा। ऐसा पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है। 

इस बार उत्तराखंड में मोदी फैक्टर पर चुनाव लड़ना भाजपा के लिए इतना आसान नहीं होगा। विधायकों के अपने कामकाज पर ज्यादा तवज्जो दी जायेगी। बता दें कि पूर्व अध्यक्ष व मौजूदा कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत एक बार कह चुके हैं कि इस बार चुनाव मोदी के नाम पर नहीं विधायक के परफार्मेंस के आधार पर जीता जायेगा। कांग्रेस इस बार ज्यादा मुखर है। उधर आम आदमी पार्टी तीसरे विकल्प के रूप में बड़ी तेजी से उभरी है। कुल मिलाकर इस बार उत्तराखंड में चुनावी रण आसान नहीं है। 

Check Also

बजट पर चर्चा :विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाली दी, केन्द्रीय मंत्री का बड़ा आरोप

🔊 Listen to this @शब्द दूत ब्यूरो (25 जुलाई 2024) संसद के दोनों सदनों में …

googlesyndication.com/ I).push({ google_ad_client: "pub-