शोधकर्ता अभी भी इस बात की पुष्टि करने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या यह नए वैरिएंट को पहले के वैरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक और घातक बनाता है।
@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (26 नवंबर, 2021)
दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 का एक नया वैरिएंट B.1.1.529 सामने आया है। नया वैरिएंट सामने आने के बाद वैज्ञानिकों ने वैश्विक स्तर पर तेजी से कोविड संक्रमण बढ़ने की आशंका जताई है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि नए वैरिएंट पर कोविड वैक्सीन बेअसर हो सकती है, संक्रमण की दर बहुत तेज हो सकती है और मरीजों में गंभीर लक्षण विकसित हो सकते हैं।
बी.1.1.1.529 वैरिएंट में कुल मिलाकर 50 तरह के म्यूटेशंस हैं। इनमें से 30 तरह के म्यूटेशंस सिर्फ स्पाइक प्रोटीन के हैं। स्पाइक प्रोटीन ही अधिकांश कोविड-19 वैक्सीन के लक्ष्य हैं और यही हमारे शरीर में वायरस की पहुंच को रोकता है। शोधकर्ता अभी भी इस बात की पुष्टि करने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या यह नए वैरिएंट को पहले के वैरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक और घातक बनाता है।
डेल्टा वैरिएंट की तुलना में नए वैरिएंट के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन में भी 10 तरह के म्यूटेशंस पाए गए हैं, जबकि डेल्टा में सिर्फ दो तरह के म्यूटेशंस पाए गए थे। म्यूटेट होने का मतलब है वायरस के जेनेटिक मटेरियल में बदलाव होना है।
डेल्टा प्लस वैरिएंट जो बाद के वैरिएंट से उत्परिवर्तित हुआ, उसकी स्पाइक प्रोटीन पर K417N उत्परिवर्तन की विशेषता रही थी; इस म्यूटेशन की वजह से रोग प्रतिरोधी क्षमता प्रभावित हुई थी। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि B.1.1.1.529 में यह हो रहा है या नहीं।
कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के साथ ही अपना रूप बदलता रहता है और इसके नए स्वरूप सामने आते हैं, जिनमें से कुछ काफी घातक होते हैं लेकिन कई बार वे खुद ही खत्म भी हो जाते हैं। वैज्ञानिक उन संभावित स्वरूपों पर नजर रखते हैं, जो अधिक संक्रामक या घातक हो सकते हैं। वैज्ञानिक यह भी पता लगाने की कोशिश करते हैं कि क्या नया स्वरूप जन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है या नहीं।
नए वैरिएंट की उत्पत्ति पर अटकलें जारी हैं, लेकिन यह एक ही रोगी से ही डेवलप हुआ हो सकता है। लंदन स्थित यूसीएल जेनेटिक्स इंस्टीट्यूट के निदेशक फ्रेंकोइस बॉलौक्स ने सुझाव दिया है कि यह कम इम्यून वाले व्यक्ति के पुराने संक्रमण से हो सकता है, जो संभवतः एक एचआईवी / एड्स रोगी हो सकता है।
नए वैरिएंट की पहचान इस सप्ताह पहली बार दक्षिण अफ्रीका में की गई। तुरंत ही यह बोत्सवाना सहित आस-पास के देशों में फैल गया है, जहां पूरी तरह से टीकाकरण किए लोग भी संक्रमित हो गए हैं। दक्षिण अफ्रीका में इस वैरिएंट के 100 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं।