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काशीपुर विधानसभा सभा सीट:विकास के लिए नहीं सिर्फ संख्या बल बढ़ाने के लिए बनते हैं यहाँ से विधायक, क्या टूटेगा बीस वर्षों का रिकॉर्ड?

विधानसभा चुनाव की हलचल को लेकर आज से शब्द दूत में शुरू की जा रही है श्रृखंला। इस श्रृखंला में पाठक भी अपनी भागीदारी कर सकते हैं।

@विनोद भगत

काशीपुर । विधानसभा चुनावों में अब कुछ ही समय रह गया है। राजनीतिक दलों के नेताओं की टिकट की दावेदारी भी अब जोर पकड़ रही है।

काशीपुर विधानसभा सीट सूबे की महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है लेकिन केवल राजनीतिक दलों के लिए इस सीट का महत्व सिर्फ संख्या बल में इजाफा करने मात्र के लिए रह गया है और मतदाता भी यहाँ भावनाओं में बहकर मत देने तक सीमित रह गया है। हालांकि बाद में शहर के विकास का रोना यहाँ के मतदाता की नियति बन गई है। अब चाहें वह चुनाव विधानसभा का हो या कोई और। क्या इस बार बीस वर्षों का सूखा टूटेगा? कांग्रेस नेता इस बात की घोषणा कर चुके हैं। 

पूरे पांच साल बल्कि काशीपुर के परिप्रेक्ष्य में तो बीस साल विकास के नाम पर ठगा महसूस करने वाला यहाँ का नागरिक किस बात के लिये गर्व करे यह समझ नहीं पाता है। कांग्रेस को मतों के धुर्वीकरण ने हाशिये पर डाल दिया है। पार्टी की आपसी खींचतान गैर कांग्रेसी दलों के लिए बोनस के रूप में है। भारतीय जनता पार्टी के लिए यहाँ विकास से ज्यादा मोदी फैक्टर त्रुप का पत्ता है। एक राजनीतिक दल के वरिष्ठ नेता का तो यहाँ तक कहना है कि जब मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ना है तो शहर भले ही कस्बा बन जाये विकास की जरूरत ही क्या है।

भाजपा और कांग्रेस में दावेदारी की बहुतायत है। कांग्रेस को उम्मीद है कि बीस सालों की भारतीय जनता पार्टी के विधायक के कार्यकाल से ऊब चुकी जनता उन्हें इस बार जिता ले जायेगी। हालांकि हर बार कांग्रेस इसी मुगालते में बीस सालों से चुनाव हारती आ रही है। इस बार इस सिलसिले को तोड़ने की पुरजोर कोशिश की जा रही है। पर यहाँ खुद विधायक बनने की लालसा ज्यादा है। पार्टी जीते या न जीते। अब ये कांग्रेस के स्थानीय नेता ही जान सकते हैं कि पार्टी को जिताये बिना कांग्रेस का विधायक कैसे बन सकता है? ठीक इसके उलट भाजपा में व्यक्ति से ज्यादा पार्टी को जिताने की ज्यादा कोशिश की जाती है। 

इस बार काशीपुर में एक तीसरा विकल्प आम आदमी पार्टी के रूप में शीर्ष पर है। पहले भी भाजपा कांग्रेस के अलावा अन्य दलों के प्रत्याशी सामने होते थे। लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी को यहाँ अन्य दलों में नहीं गिना जा सकता। एक मायने में आम आदमी पार्टी मौजूदा परिस्थितियों में भाजपा और कांग्रेस पर जीत हासिल करती नजर आ रही है। यहाँ न तो दावेदारों की लंबी चौड़ी फेहरिस्त है और न संभावित प्रत्याशी की छवि पर कोई दाग। भाजपा कांग्रेस में एक दूसरे की जमकर छीछालेदर होती रही है। जबकि आप के नेता लगातार यहाँ दोनों राष्ट्रीय दलों पर हमलावर हैं और सुर्खियों में हैं।

—–जारी (अपनी राय या अपनी बात कहने के लिए 8868837745 पर व्हाट्सअप करें या फिर कमेंट बॉक्स में भी कह सकते हैं।

 

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