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उत्तराखंड :पिथौरागढ़ महाविद्यालय छात्रों का पुस्तक आंदोलन बदहाल शिक्षा का प्रमाण

 

बालीवुड अभिनेता पिथौरागढ़ निवासी हेमंत पांडे ने छात्रों के आंदोलन को समर्थन दिया 

पूरे देश में चर्चित हुआ पुस्तक आंदोलन 

विनोद भगत 

उत्तराखंड के लिए इससे बड़ी बिडम्बना क्या हो सकती है कि 22 दिनों से पिथौरागढ़ में महाविद्यालय के छात्र-छात्रायें सिर्फ इसलिए आंदोलन पर है कि उन्हें किताबें नहीं मिल रही। जी हाँ ये उस राज्य की कड़वी हकीकत है जहाँ 200 करोड़ की शादी हो जाती है। जहाँ प्रचंड बहुमत की सरकार है। जहाँ विपक्ष सरकार से मित्रता निभाता है। न पक्ष न विपक्ष इन छात्रों की पीड़ा समझ पा रहा है। बल्कि यह कहें कि समझना नहीं चाह रहा।पर्याप्त शिक्षक और शिक्षा सुविधाओं का दावा करने वाले इस हकीकत को नहीं झुठला सकते।पिथौरागढ़ के  लक्ष्मण सिंह महर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के छात्र 17 जून से दिनों से पुस्तकों और शिक्षकों  की कमी की शिकायत को लेकर धरना और आंदोलन कर रहे हैं। बताया जाता है कि यह कूमांयू का सबसे बड़ा दूसरा महाविद्यालय है।

इस महाविद्यालय में लाइब्रेरी में पुस्तकों और शिक्षकों की कमी है। छात्र 90 के दशक की पुस्तकें पढ़ रहे हैं।  छात्रों का कहना है कि हमारे पास पर्याप्त पुस्तके नही हैं। हमे एक या दो ही पुस्तके मिल पाती हैं। छात्र जो पुस्तक पढ़ रहे हैं उसकी एक बानगी अंतरराष्ट्रीय राजनीति की पुस्तक है जिसमें  शीत अपवाद अपने चरम पर है। सोवियत संघ का विघटन हुआ ही नही है और बर्लिन की दीवार अभी गिरी नही है। 

पुस्तकों के साथ साथ  यहां  शिक्षको की भी भारी कमी है। 40 से भी कम शिक्षक हैं जिससे न तो सही ढंग से क्लास लग पा रही हैं और न ही कोर्स कम्प्लीट हो पा रहे हैं। कई-कई विभाग तो ऐसे हैं, जिसमें एक या दो टीचर पूरे डिपार्टमेंट को संभाले हुए हैं। पुस्तकालय की हालत ऐसी है कि यहां पर 3 साल हो गए सेमेस्टर सिस्टम को लगे हुए लेकिन अभी तक सेमेस्टर सिस्टम की किताबें नहीं आई हैं। यही हाल कॉलेज में प्रयोगशाला  का भी है उनकी हालत इतनी खराब है कि विज्ञान जैसे विषय भी किताबी ज्ञान पर चल रहे हैं और अधिकतर छात्र-छात्राओं को किताबें भी उपलब्ध नहीं हो पातीं।

इन्हीं जायज मांगों को   पिथौरागढ़ के लक्ष्मण सिंह महर महाविद्यालय में  को लेकर 17 जून से छात्रों का धरना प्रदर्शन परीक्षाओं और बारिश के बीच भी अनवरत जारी है।

आंदोलनरत छात्र-छात्राओं की मांग है कि महाविद्यालय में पुस्तकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। महाविद्यालय में प्राध्यापकों के रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए और नए पदों का भी सृजन हो। महाविद्यालय में अध्ययनरत शोधार्थियों को शोध सहायता दी जाए।आंदोलनरत युवाओं की यह भी मांग है कि कुलपति महोदय महाविद्यालय में आकर खुद इनकी समस्याओं का सुनें।आंदोलनकारी छात्र गांधीवादी तरीके से अपनी मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं।पोस्टर और कविताओं के माध्यम से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कारी छात्रों का यह भी मांग है कि पिथौरागढ़ महाविद्यालय में सब रजिस्ट्रार कार्यालय भी खोला जाय ताकि छोटी छोटी कमियों को दूर करने के लिए उन्हें नैनीताल तक जाना पड़ता है।  अपनी मांगों को लेकर छात्रों ने  उच्चाधिकारियों से लेकर प्रदेश के शिक्षा मंत्री तक ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया लेकिन उनकी मांगों को पूरा नही किया जा रहा है। यहां तक कि 17 जून को धरने पर बैठने से पहले एक अंतिम ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से कुलपति और शिक्षा मंत्रालय को भेजा गया जिसमें एक हफ्ते के भीतर जवाब न आने पर धरने पर बैठने की चेतावनी दी गयी थी। जवाब न आने पर छात्र-छात्राओं ने धरना शुरू कर दिया। 

हालांकि छात्रों का यह पुस्तक आंदोलन अब जोर पकड़ रहा है और राज्य भर में चर्चित हो रहा है। पिथौरागढ़ निवासी और मशहूर बॉलीवुड अभिनेता हेमंत पांडे ने सरकार से मांग की है कि छात्रों की इस मांग को पूरा करना चाहिए। हेमंत पांडे ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड कर कहा है कि उन्हें यह जानकर दुख हुआ है कि छात्रों को पढ़ने के लिए पुस्तक उपलब्ध नहीं है। हेमंत पांडे ने साफ किया कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। यह राज्य के युवाओं के भविष्य से जुड़ा प्रश्न है। 

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