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रोचक जानकारी: धरती के घूमने की रफ्तार रहस्‍यमय तरीके से हुई धीमी, दुनियाभर के वैज्ञानिक हैरान

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (01 नवंबर, 2021)

कोरोना के बीच साल 2020 में वैज्ञानिकों ने पाया था कि पृथ्‍वी की अपने अक्ष पर घूमने की रफ्तार सामान्‍य से ज्‍यादा तेज हो गई है। पृथ्‍वी के तेज गति से घूमने की रफ्तार इस साल के पहले 6 महीने तक जारी रही। हालांकि अब धरती की रफ्तार में एक बार फिर से बदलाव आ गया है। अब पृथ्‍वी अपने अक्ष पर सामान्‍य से धीमा घूम रही है। पृथ्‍वी के इस रफ्तार परिवर्तन से दुनियाभर के वैज्ञानिक हैरान हैं।

औसतन पृथ्‍वी अपनी धुरी पर अपना एक चक्‍कर पूरा करने में 24 घंटे या फिर 86,400 सेकंड लेती है। व्‍यवहार में हर चक्‍कर में लगने वाले समय में कुछ अंतर रहता है। समय के साथ यह अंतर कुछ सेकंड में बदल जाता है। वर्तमान समय में वैज्ञानिक परमाणु घड़ी की मदद से समय पर पूरी नजर रखते हैं जो वैश्विक स्‍तर पर समय को निर्धारित करने में मदद करती है।

परमाणु घड़ी एकदम सटीक समय बताती है। इससे पृथ्‍वी की रफ्तार में आने वाले बदलाव का भी पता चल जाता है। इसके बाद वैज्ञानिक अंतर को बराबर करने के लिए लीप सेकंड जोड़ते हैं या घटाते हैं। इससे पहले कभी ‘निगेटिव लीप सेकंड’ को समय में जोड़ा नहीं गया है लेकिन 1970 से अब तक 27 बार एक सेकंड को बढ़ाया जरूर गया है जब धरती ने 24 घंटे से ज्यादा का वक्त एक चक्कर पूरा करने में लगाया हो।

हालांकि, पिछले साल में उसे कम वक्त लग रहा है। 1960 के बाद से अटॉमिक घड़ियां दिन की लंबाई का सटीक रेकॉर्ड रखती आई हैं। इस तरह से प्रत्‍येक 18 महीने में एक लीप सेकंड को जोड़ा गया। इनके मुताबिक 50 साल में धरती ने अपने ऐक्सिस पर घूमने में 24 घंटे से कम 86,400 सेकंड का वक्त लगाया है। हालांकि, 2020 के बीच में यह पलट गया और एक दिन पूरा होने में 86,400 सेकंड से कम का वक्त लगा। जुलाई 2020 में दिन 24 घंटे से 1.4602 मिलीसेकंड छोटा था जो अब तक का सबसे छोटा दिन था। जो वर्ष 2020 में औसतन हर दिन 0.5 सेकंड पहले खत्म हो गया।

समय में हो रहे इस बदलाव के बड़े स्तर पर कई असर हो सकते हैं। सैटलाइट और संपर्क उपकरण सोलर टाइम के हिसाब से काम करते हैं जो तारों, चांद और सूरज की स्थिति पर निर्भर होता है। इसे बरकरार रखने के लिए पेरिस की इंटरनैशनल अर्थ रोटेशन सर्विस पहले लीप सेकंड जोड़ती रहती थी। नासा के वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती के घूमने की रफ्तार कम होने से बड़े भूकंप आ सकते हैं।

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