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प्रियंका गांधी की सियासत समझ नहीं पाए योगी, बैकफुट पर आई सरकार, पीएम से पूछे सवाल, देखिए वीडियो

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (07 अक्टूबर 2021)

लखीमपुर खीरी मामले में प्रियंका गांधी ने जिस हौंसले और सब्र के साथ सियासत की एक नई इबारत लिखने की कोशिश की है उसने चुनाव की दहलीज़ पर खड़े यूपी के बाकी विपक्षी दलों को एक तरह से पीछे छोड़ दिया है। राजनीति में अमूमन ऐसा बहुत कम ही होता है, जब विपक्ष के किसी एक नेता की जिद को पूरा करने के लिए सरकार को बैकफुट पर आना पड़े या उसे यू टर्न लेने के लिए मजबूर होना पड़े।

लेकिन प्रियंका ने अपनी दादी इंदिरा गांधी के नक्शे कदम पर चलते हुए अपनी बात मनवाने के लिए न सिर्फ सरकार को मजबूर किया बल्कि इस बहाने पार्टी कार्यकर्ताओं में भी नई जान फूंक दी।

दरअसल, योगी सरकार को भी ये अहसास नहीं था कि प्रियंका इस हद तक अड़ जाएंगी कि वो सरकार के लिए इतना बड़ा बवाल बन जाएगा। लगातार तीन दिन तक प्रियंका के इस साहसी अंदाज़ को जिस तरह से देश-दुनिया के मीडिया में कवरेज मिल रहा था, उससे प्रियंका का न सिर्फ राजनीतिक कद बढ़ा, बल्कि वे लोगों के बीच ये छाप छोड़ने में भी काफी हद तक कामयाब रहीं।

इसके लिए सरकार के खिलाफ तेवर भी वैसे ही तीखे अपनाने से वे पीछे नहीं हटी जिसे देखकर आम जनता उसे राजनीतिक तमाशा नहीं बल्कि हक़ीक़त में हो रही लड़ाई ही समझें। यह अलग विषय है कि आगामी चुनाव में कांग्रेस को इसका कहां तक फायदा मिलता है लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि आक्रामक विपक्ष को नापने की कसौटी पर प्रियंका गांधी खरी उतरीं हैं।

मीडिया में मिलते लगातार कवरेज और इसके चलते प्रियंका के बढ़ते हुए कद से दिल्ली दरबार को भी ये फिक्र सताने लगी थी कि अगर इस विवाद को जल्द खत्म नहीं किया गया, तो चुनाव में पार्टी को खासा नुकसान झेलना पड़ सकता है। दावा तो ये भी किया गया कि दिल्ली से हिदायत मिलने के बाद ही योगी सरकार ने फैसला लिया कि अब किसी भी राजनीतिक दल के पांच लोग पीड़ित परिवारों से मिलने लखीमपुर खीरी जा सकते हैं।

लेकिन इसके बाद भी योगी सरकार में बैठे अफसरों ने बगैर सोचे फिर एक ऐसा फैसला ले लिया कि जिससे न केवल सरकार की भद्द पिटी बल्कि कांग्रेस को बेवजह ही इसका सियासी फायदा मिल गया। लखनऊ एयरपोर्ट पर उतरने के बाद राहुल गांधी पर ये बेतुकी शर्त थोपने के पीछे न जाने किसका दिमाग था कि उन्हें पुलिस की गाड़ी में ही लखीमपुर खीरी जाने दिया जाएगा। स्थानीय प्रशासन की इस गलती का राहुल गांधी ने भरपूर लाभ उठाया और एयरपोर्ट पर ही धरना देकर करीब आधे घंटे तक वे देश के तमाम न्यूज़ चैनलों पर छाए रहे। आखिरकार उन्हें अपनी गाड़ी से ही जाने की इजाजत दी गई लेकिन सरकार को तो यहां भी बैकफुट पर आना ही पड़ा।

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